मुस्लिम आक्रमण Muslim Invasion

भारतीय इतिहास में अरब और भारत संबंध का विशेष महत्त्व है। भारत में सबसे पहले आने वाले मुसलमान अरब हैं। अरब विजय का अध्ययन करने से पूर्व अरबों का परिचय प्राप्त कर लेना अधिक उपयुक्त होगा। अरब शब्द का शाब्दिक अर्थ ललित कथन है। अरब के निवासियों की भाषा प्रसाद गुण युक्त है इसलिए इस क्षेत्र के निवासियों को अरब कहा जाने लगा। कुछ विद्वान् यह मानते हैं कि अरब में मरूस्थल अधिक हैं इसलिए इस क्षेत्र का यह नाम पड़ा। अरब एशिया महाद्वीप के पश्चिमी अंचल में स्थित है। अरब भूमि की उर्वरा शक्ति बहुत ही कम है। अरबवासियों का प्रमुख धंधा व्यापार और पशुपालन रहा है। भारत के साथ अरबवासियों का संबंध बहुत पुराना है। सैयद सुलेमान नदवी के अनुसार, हजारों वर्ष पहले से अरब के व्यापारी भारतवर्ष के समुद्रतट तक आते थे और यहाँ की उपज तथा व्यापारिक पदार्थों को मिस्र और श्याम देश के द्वारा यूरोप तक पहुँचाते थे। वहाँ के पदार्थों को भारतवर्ष, उसके पास के टापुओं, चीन और जापान तक ले जाते थे।

थाना, खभात, देवल, मालाबार, कन्याकुमारी आदि बन्दरगाहों से व्यापारिक लेनदेन होता था। भारत से अरब व्यापारी बहुत सा सामान ले जाते थे जैसे चन्दन, सुगन्धित लकड़ी, कपूर, लौंग, कालीमिर्च, कपड़े, हीरा, हन्थिदंत, सीसा, बांस आदि। भारत में ये लोग शराब, तलवार, खजूर, घोड़े, रेशमी कपड़े आदि लाते थे। भारत और अरबों का मैत्री संबंध अत्यन्त पुराना है।

अरबों की विजय का क्षेत्र सिंध व मुल्तान थे। अरबों के सर्वप्रथम आक्रमण 636-637 ई. में हजरत उमर की खिलाफत के समय हुए। इन प्रारंभिक आक्रमणों का उद्देश्य विजय करना नहीं, वरन् लूटमार करना था। लेकिन ये खदेड़ दिये गये थे। इसके बावजूद भी आक्रमणों का सिलसिला रूका नहीं वरन् देवल, खाड़ी, बलोचिस्तान आदि सिंध के क्षेत्रों पर आक्रमण होते रहे। किकनाम नामक पहाड़ी पर भी उनके आक्रमण होते रहे। 662 ई. में अलहेरिस और 664 ई. में अल-मुहल्लव के आक्रमण हुए लेकिन ये प्रभावहीन रहे। अब्दुल्ला का आक्रमण हुआ उसे भी पराजित कर दिया गया।

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