मांटेग्यू की घोषणा Montagu Declaration

20 अगस्त 1917

मांटेग्यू भारतीय राज्य सचिव थे। इस पद पर नियुक्त होने के कुछ समय पश्चात् ही मांटेग्यू ने 20 अगस्त 1917 को कामन्स सभा में ब्रिटिश सरकार के उद्देश्य पर एक महत्वपूर्ण घोषणा की-

“महामहिम सम्राट की सरकार की नीति, जिससे भारत सरकार भी पूर्ण सहमत है, यह है कि भारतीय शासन के प्रत्येक विभाग में भारतीयों की भागीदारी उत्तरोत्तर बढ़े तथा स्वशासी संस्थाओं का धीरे-धीरे विकास हो जिससे अधिकाधिक प्रगति करते हुये भारत में उत्तरदायी प्रणाली की स्थापना हो तथा यह ब्रिटिश साम्राज्य के अभिन्न अंग के रूप में आगे बढ़े। उन्होंने यह निश्चय कर लिया है कि इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम अतिशीघ्र लिया जाये। मैं इस विषय पर स्पष्ट कर दूँ कि यह प्रगति क्रमबद्ध चरणों में ही संभव है। ब्रिटिश सरकार और भारत सरकार जिन पर भारत के लोगों की भलाई और उन्नति का उत्तरदायित्व है, वे ही समय तथा प्रत्येक उन्नति की मात्रा को सुनिश्चित करेंगे, और यह उनके सहयोग पर निर्भर होगा, जो अब सेवा का अवसर प्राप्त करेंगे अथवा जिस सीमा तक वे उस विश्वास को निभायेंगे, जो उनकी उत्तरदायित्व की चेतना पर किया जा सकता है”।

मांटेग्यू घोषणा का महत्व

इस घोषणा से राष्ट्रवादियों को स्वशासन या होमरूल की मांग के संबंध में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुयी। घोषणा के पश्चात् भारत में स्वशासन की स्थापना की मांग में विप्लव या विद्रोह की संभावना समाप्त हो गयी क्योंकि सरकार ने उसे अपनी नीतियों में सम्मिलित कर लिया। इससे 1909 में मार्ले द्वारा की गयी घोषणा से उत्पन्न असंतोष एवं रोष भी समाप्त हो गया।

भारतीयों की आपत्ति

उक्त उपलब्धियों के साथ ही भारतीय नेताओं को घोषणा के संबंध में दो आपत्तियां भी थीं, जो इस प्रकार थीं-


  1. घोषणा में उत्तरदायी शासन की स्थापना के लिये कोई निश्चित समय सीमा नहीं दी गयी थी।
  2. उत्तरदायी शासन की प्रकृति और प्रगति के संबंध में निश्चय करने का अधिकार केवल सरकार को ही था। इस बात से भारतीय असंतुष्ट थे। उनका मानना था कि भारतीयों के लिये अच्छे या बुरे का निर्णय करने का अधिकार केवल सरकार को नहीं है अपितु इस प्रक्रिया में भारतीयों को भी सहभागी बनाया जाना चाहए।

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