अंतर्राष्ट्रीय आणविक उर्जा विभाग International Atomic Energy Agency – IAEA

तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डी. आइजेनहॉवर ने 1958 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित शांतिपूर्ण उपयोग की दिशा में विशिष्ट भूमिका निभा सके। 1954 में अमेरिकी प्रस्ताव को मंजूरी प्राप्त हुई। 1956 में आणविक ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (न्यूयार्क) में 70 देशों की सरकारों द्वारा आईएईए के विधान पर हस्ताक्षर किये गये। 27 जुलाई, 1957, प्ले यह अभिकरण प्रभावी हो गया। 2013 के अंत तक अभिकरण के सदस्यों की संख्या 162 थी। इसका मुख्यालय विएना में है। आईएईए संयुक्त राष्ट्र का विशिष्ट अभिकरण नहीं है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र से तदद्ध एक स्वायत अंतरराष्ट्रीय संगठन है।

इस अभिकरण का उद्देश्य संपूर्ण विश्व में शांति, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के लिए आणविक ऊर्जा के योगदान को विस्तारित एवं प्रोत्साहित करना है। संगठन यह भी सुनिश्चित करता है कि इस प्रकार की सहायता का उपयोग किसी प्रकार के सैन्य उद्देश्य की पूर्ति में न हो। आईएईए की गतिविधियों के चार प्रमुख क्षेत्र हैं-

  1. स्वास्थ्य एवं सुरक्षा मानदंडों की स्थापना;
  2. एक सुरक्षोपाय कार्यक्रम का प्रशासन ताकि आणविक खनिजों का सैनिक उपयोग न हो सके;
  3. तकनीकी सहायता, तथा;
  4. नाभिकीय अनुसंधान एवं विकास में सहायता।

एजेंसी ने विकिरण सुरक्षा हेतु मूलभूत सुरक्षा मानदंडों का संहिताकरण किया है तथा विशिष्ट प्रकार के क्रिया-कलापों (जिनमें रेडियोधर्मी पदार्थों का सुरक्षित परिवहन तथा रेडियोधर्मिता सक्रिय कचरा प्रबंधन शामिल हैं) से जुड़े विनियम तथा व्यवहार मानदंड जारी किये हैं। एजेंसी के कार्यात्मक सुरक्षा पुनर्विचार दलों द्वारा नाभिकीय संयंत्रों का दौरा किया जाता है (यदि सम्बद्ध देश इस प्रकार का निवेदन करता है)। संगठन से जुड़े पक्ष नाभिकीय दुर्घटनाओं के बारे में पूर्व अधिसूचना एवं जानकारी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।

सभी प्रकार एवं आकार के नाभिकीय संयंत्रों हेतु सुरक्षोपाय मानदंड स्वीकार किये गये हैं। सुरक्षोपाय आईएईए द्वाराअनुप्रयुक्त तकनीकी साधन है, जो यह सुनिश्चित करते है की नाभिकीय उपकरणों व् पदार्थों का उपयोग विशष रूप से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया गया है। सुरक्षोपाय प्रणाली मूलतः नाभिकीय पदार्थ गणना विधि पर आधारित है, जिसमें परिरोधन नीति एवं निगरानी को महत्वपूर्ण उपाय माना गया है। नाभिकीय अप्रसार संधि (1968) की शर्तो के अधीन गैर-परमाणु हथियार वाले देशों को आईएईए के साथ सुरक्षोपाय समझौते सम्पन्न करने पड़ते हैं। परमाणु शस्त्र रखने वाले देशों ने भी एजेंसी के मानदंडों को लागू करने के लिए आईएईए के साथ समझौते किये हैं। एजेंसी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के खाड़ी युद्ध-विराम (1991) की शर्तो के अंतर्गत इराक में नाभिकीय अनुसंधान सुविधाओं के निरीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी गयी है। एजेंसी ने दक्षिण अफ्रीका द्वारा अपनी परमाणु शस्त्र क्षमता का परित्याग करने की घोषणा (1993) को सत्यापित किया है।

एजेंसी द्वारा निम्नलिखित संधियों का प्रशासन किया जाता है-

  1. नाभिकीय क्षति हेतु नागरिक उत्तरदायित्व पर संधि (1977),
  2. नाभिकीय सुरक्षा संधि (1994)
  3. नाभिकीय पदार्थों की भौतिक सुरक्षा पर संधि (1987)।

यह लैटिन अमेरिका में परमाणु हथियार निषेध संधि (1967) के अंतर्गत सुरक्षापायों के अनुप्रयोग का प्रशासन भी करती है। तकनीकी सहायता कार्यक्रमों के तहत आईएईए द्वारा नाभिकीय शक्ति विकास, नाभिकीय सुरक्षा, रेडियोधर्मी कचरा प्रबंधन., आणविक उर्जा उपयोग के वैधानिक पहलू, उद्योग, कृषि, जल-विज्ञान व चिकित्सा विज्ञान में विकिरण तथा समस्थानिकों के प्रयोग इत्यादि क्षेत्रों में विकासशील देशों की सहायता प्रदान की जाती है।

नाभिकीय शोध एवं विकास कार्यक्रमों के तहत आईएईए सामुद्रिक रेडियोधर्मिता की अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला (मोनाको), अंतरराष्ट्रीय सैद्धान्तिक भौतिकी केन्द्र (ट्रीस्टे) तथा अंतरराष्ट्रीय नाभिकीय सुधार प्रणाली (सीबर्सडॉर्फ, ऑस्ट्रिया) के कार्य संचालन हेतु जिम्मेदार है। यह संगठन नियोजित ताप परमाणविक संलयन प्रतिक्रिया के सम्बंध में यूरोपीय संघ, जापान एवं अमेरिका के भौतिक वैज्ञानिकों द्वारा किये गये कायों को भी समन्वित करता है।


आईएईए के मुख्य घटकों में सामान्य सम्मेलन, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स तथा सचिवालय शामिल हैं। सामान्य सम्मेलन में सभी सदस्य शामिल हैं, जो वार्षिक बैठक के माध्यम से अभिकरण के कार्यक्रमों व बजट को अंतिम स्वीकृति देते हैं तथा महानिदेशक की नियुक्ति एवं बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के कुछ सदस्यों का चुनाव करते हैं।

बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में 35 रादस्य होते हैं, जिनमें से 22 का चुनाव सामान्य सम्मेलन द्वारा न्यायपूर्ण भौगोलिक वितरण के आधार पर किया जाता है। शेष 18 सदस्यों को उनकी अग्रणी नाभिकीय तकनीक एवं नाभिकीय पदार्थ उत्पादन क्षमता के आधार पर नामांकित किया जाता है। बोर्ड ऑफ गवनर्स की बैठक वर्ष में चार बार होती है।

सचिवालय का प्रधान एक महानिदेशक होता है, जिसका कार्यकाल 4 वर्ष होता है। महानिदेशक संगठन के कार्यचालन हेतु जिम्मेदार होता है तथा अपने कर्मचारी वर्ग की नियुक्ति करता है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रकृति के मामलों पर महानिदेशक तथा बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को परामर्श देने के लिए 1958 में एक वैज्ञानिक परामर्शदात्री समिति का गठन किया गया। 1975 में परमाणु विस्फोटों पर एक अंतर्राष्ट्रीय परामर्श समूह बनाया गया, जो शांतिपूर्ण उद्देश्यों को प्रोत्साहित करता है।

आईएईए और इसके भूतपूर्व महानिदेशक, मोहम्मद अलबरदेई को संयुक्त रूप से नोबल शांति पुरस्कार वर्ष 2005 में प्रदान किया गया 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *