भारत की भौतिक संरचना India’s Physical Structure

  • देश के लगभग 10.6 % क्षेत्र पर पर्वत, 18.5 % क्षेत्र पर पहाडियां, 27.7 % क्षेत्र पर मैदान है।
  • माउंट एवरेस्ट हिमालय पर्वतमाला की सबसे ऊची श्रृंखला है, जबकि K2 (गॉडविन ऑस्टिन) काराकोरम पर्वत माला की सबसे ऊंची चोटी है जो पाक अधिकृत कश्मीर मेँ है, अतः कंचनजंघा भारत की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला है।
  • अरावली पर्वतमाला विश्व की सबसे प्राचीन वलित पर्वतमाला है।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रायद्वीपीय पठार जी प्रदेश देश का सबसे बड़ा भौतिक प्रदेश है, यह गोंडवाना लैंड का भाग है।
  • सतपुड़ा एवं अजंता की पहाड़ियोँ के बीच के क्षेत्र को रवांडा कहते हैं।
  • मालवा का पठार लावा निर्मित काली मिट्टी से बना है। इस पठार से होकर चंबल, काली सिंहा, पार्वती, बेतवा, माही और निताल नदियां बहती हैं।
  • दक्कन के पठार को महाराष्ट्र पठार भी कहते हैं। यह बेसाल्ट चट्टानोँ से बना है प्रायद्वीप भारत मेँ स्थित सतपुड़ा के दक्षिण मेँ दक्कन पठार का विस्तार है।
  • कर्नाटक पठार से कृष्णा, तुंगभद्रा एवं कावेरी नदियां प्रवाहित होती हैं। मलनाड़ इसका पश्चिमी भाग है।
  • तेलंगाना पठार हैदराबाद एवं सिकंदराबाद मेँ अवस्थित है।
  • नर्मदा एवं ताप्ती नदियों के बीच मेँ सतपुड़ा पर्वत माला स्थित है। इसकी सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ है, जो 1350 मीटर ऊंची है, समीप ही पंचमढ़ी पर्यटक स्थल स्थित है।
  • सतपुड़ा के पश्चिमी भाग को राजपीपला, मध्यवर्ती भाग को महादेव एवं पूर्वी छोर को अमरकंटक कहते हैं।
  • मेघालय का सर्वोच्च शिखर नोकरेक है, मेघालय या शिलांग पठार को भारतीय पठार से अलग करने वाली जलोढ़ प्रदेश की चौड़ी पट्टी गारो-राजमहल विदर है।
  • गुरु शिखर अरावली पर्वत की सबसे ऊँची चोटी है यह 1,722 मीटर ऊंची है। यह राजस्थान राज्य के सिरोही जिले मेँ स्थित है।
  • पश्चिमी घाट को सह्याद्री भी कहते हैं। थालघाट, भोरघाट, पालघाट और शेनकोटा गेप पश्चिमी घाट के दर्रें हैं।
  • कलसुबाई (1,644 मी.) और महाबलेश्वर (1430 मी.) उत्तरी सहयाद्रि की ऊँची पर्वत चोटियां हैं। थालघाट एवं भोरघाट दर्रे इसी भाग मेँ स्थित हैं। गोदावरी, भीमा एवं कृष्णा नदियों का उद्गम उत्तरी सह्याद्री से होता है।
  • कुद्रेमुख (1,892 मी.), पुष्पागिरी (1,714 मी.) मध्य सह्याद्री की कुछ प्रमुख चोटियां हैं। तुंगभद्रा और कावेरी नदियों का उद्गम इसी भाग से होता है।
  • अनाईमुड़ी अन्नामलाई पर्वत श्रेणी का सर्वोच्च शिखर है  एवं यह दक्षिण भारत का भी सर्वोच्च पर्वत शिखर है। दोद्दाबेटा नीलगिरी पर्वतमाला की सर्वोच्च चोटी है।
  • कच्छ प्रायदीप मेँ गिरनार (1,117 मी.) मीटर सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है।
  • कुल्लू घाटी धौलाधार पर्वत श्रेणी तथा वृहत हिमालय के बीच मेँ स्थित है। व्यास नदी इसी काठी से होकर बहती है। कुल्लू घाटी सेब की कृषि के लिए प्रसिद्ध है।
  • पीरपंजाल और बनियाल दर्रे मध्य हिमालय मेँ स्थित हैं। बनियाल दर्रे से होकर जम्मू-कश्मीर मार्ग गुजरता है।
  • बारा लाचा ला दर्रा लेह को कुल्लू मनाली और केलांग से जोड़ता है। बुर्जिल दर्रा गिलगिट को श्रीनगर से, जोजिला दर्रा श्रीनगर लेह मार्ग से होकर गुजरता है।
  • काराकोरम दर्रे द्वारा भारत तथा तारिम बेसिन के बीच संपर्क स्थापित होता है।
  • मध्य-हिमालय के उत्तरी ढालोँ पर पाए जाने वाले घास के छोटे-छोटे मैदानों को मर्ग कहते हैं, जिनमें गुलमर्ग, सोनमर्ग, टंगमर्ग प्रमुख रुप से हैं।
  • बाल्टोरो, बाटुरा, सियाचिन और हिस्पार हिमालय के चार प्रमुख हिमनद हैं। पार हिमालय अथवा तिब्बती हिमालय मेँ लद्दाख, जास्कर, कैलाश काराकोरम पर्वत श्रेणी मेँ शामिल हैं।
  • डाफाबम (4,578 मी.) मिशमी पहाडियोँ तथा सारामती (3,826 मी.) नागा पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटियां हैं।
  • पूर्वी तट के उत्तरी भाग को उत्तरी सरकार तथा दक्षिण भाग को कोरोमंडल तट के नाम से जाना जाता है।
  • चेन्नई से 80 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के नेल्लौर जिले के पुलीकट झील व बर्मिंघन नहर के बीच श्रीहरिकोटा स्थित है।
  • बंगाल की खाड़ी के मुख्य द्वीपों मेँ न्युमूर, गंगासागर, श्रीहरिकोटा, पवन और बैरन प्रमुख हैं। अरब सागर के मुख्य द्वीपों में दीव, गांधोर, एलीफैंटा, मिनीकाय और विलिंगटन मुख्य हैं।
  • अंडमान निकोबार की सबसे ऊंची चोटी सैडल चोटी (738 मी.) है। अंडमान मेँ दो ज्वालामुखी द्वीप हैं – बैरन (भारत का एकमात्र जीवित ज्वालामुखी) एवं नारकोंडम।
  • अंडमान निकोबार द्वीप समूह मेँ कुल 224 द्वीप (अंडमान-205, निकोबार-19) हैं। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह 10° चैनल द्वारा अलग होते हैं।
  • लक्षद्वीप मेँ कुल 25 दीप समूह हैं, जिनमें 11 अधिवासित हैं, लक्षद्वीप समूह का सबसे बडा द्वीप मिनीकाय है। यह 9° चैनल जलधारा द्वारा शेष द्वीपों से अलग होता है, लक्षद्वीप एवं मालद्वीप 8° चैनल जलधारा से परस्पर अलग होते हैं।
  • लक्षद्वीप के ऊपरी भाग को अमीनदीवी कहते हैं, जबकि दक्षिणी भाग को कन्नानोर के नाम से जाना जाता है।

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