संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव घाली का निधन Ex-UN Chief Boutros Boutros-Ghali Passes Away

संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बुतरस बुतरस घाली का निधन हुआ हो गया है। वे 93 साल के थे।

उनका जन्म 14 नवंबर 1922 को काहिरा में एक ईसाई परिवार में हुआ था।

संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने घाली के निधन की पुष्टि की है। वेनेजुएला के राजदूत और इस महीने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष राफेल रमीरेज ने यमन में मानवीय संकट की बैठक के दौरान बुतरस घाली के निधन की जानकारी दी। मिस्र की सरकारी समाचार एजेंसी ने खबर दी कि पूर्व महासचिव बुतरस बुतरस घाली का काहिरा के एक अस्पताल में निधन हो गया है। सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों ने घाली के सम्मान में कुछ पल मौन रहकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।

सोवियत संघ का विघटन, शीत युद्ध की समाप्ति और अमरीका प्रशस्त एकध्रुवीय काल का आरंभ जैसे दुनिया में हो रहे नाटकीय बदलावों के दौरान उन्होंने 1992 में अपना पद संभाला।

मिस्र के जाने माने राजनयिक रहे घाली ने इजरायल के साथ देश की महत्वपूर्ण शांति वार्ता में मदद की थी लेकिन बाद में इस मुद्दे पर अमरीका से टकराव हो गया। मिस्र के एक प्रमुख इसाई राजनीतिक परिवार के वंशज बुतरस बुतरस-घाली अफ्रीकी महाद्वीप से पहले संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बने थे। घाली संयुक्त राष्ट्र के छठे महासचिव रहे थे। घाली जनवरी, 1992 से दिसंबर, 1996 तक संयुक्त राष्ट्र के सबसे अहम पद पर रहे।

वे संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बनने वाले पहले अरब नेता थे। घाली के कार्यकाल के दौरान ही सोमालिया में भीषण आकाल पड़ा था और उन्होंने पहली बार बड़े पैमाने पर संयुक्त राष्ट्र का सहायता कार्यक्रम चलाया था।

हालांकि 1994 में रवांडा में हुए नरसंहार मामले में संयुक्त राष्ट्र की नाकामी के चलते उनकी काफ़ी आलोचना हुई थी।


लेकिन, चार साल के कार्यकाल के बाद क्लिंटन प्रशासन से मतभेदों के कारण अमेरिका ने 1996 में उनके कार्यकाल की पुनरावृत्ति नहीं होने दी। इसके बाद उनके स्थान पर घाना के कोफी अनान महासचिव बने।

वह 1992 से 1996 तक महासचिव पद पर रहे। मिस्र के निवासी घाली ने दूसरी बार महासचिव पद के लिए दावेदारी पेश की थी, लेकिन अमेरिका ने उनके नाम पर वीटो लगा दिया था। वह अफ्रीकी महाद्वीप से यूएन महासचिव बनने वाले पहले शख्स थे।

उन्होंने ऐसे वक्त संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व किया, जब सोवियत संघ का पतन हुआ था। साथ ही सोमालिया, रवांडा, मध्यपूर्व और यूगोस्लाविया संकट के दौर से गुजर रहा था। मिस्र के विदेश मंत्री रहने के दौरान उन्होंने इस्राइल और मिस्र के बीच शांति संधि कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

हालांकि कई मुद्दों पर अमेरिका से मतभेद के कारण उन्हें दूसरी बार महासचिव बनने का मौका नहीं दिया गया। उनकी जगह कोफी अन्नान ने ली।

विश्लेषकों का कहना है कि घाली ने संयुक्त राष्ट्र को महाशक्तियों के नियंत्रण से बाहर लाकर स्वतंत्र संस्था बनाने की कोशिश की थी। हालांकि कुछ लोग उन्हें अफ्रीका और बाल्कन द्वीप में नरसंहार न रोक पाने का जिम्मेदार भी मानते हैं। हालांकि घाली ने इन आरोपों पर कहा था कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे बड़े देशों के दखल के कारण इन घटनाओं को रोका नहीं जा सका।

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