भारत की अपवाह प्रणाली Drainage system of India

भारत की नदियाँ  Rivers of India

उत्तर भारत की नदियाँ Rivers of northern India

गंगा Ganga

गंगा नदी वास्तव में भागीरथी और अलकनंदा नदियों का ही सयुंक्त नाम है। गंगा नदी कई सहायक नदियों से मिलकर बनती है। इसकी मुख्य सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, करनाली, राप्ति, घाघरा, गंडक, कोसी, काली नदी हैं जो उत्तर से आकर इसमें मिलती हैं। दक्षिण के पठार से यमुना से मिलकर गंगा में मिलने वाली नदियाँ है – चंबल, सिंधु, बेतवा, केन, दक्षिणी टोन्स, सोन आदि नदियाँ हैं।

भागीरथी नदी गंगोत्री ग्लेशियर से गोमुख नमक स्थान से निकलती है और अलकनंदा नदी त्रिशूल और कामेत पर्वत पर जमी बर्फ के पिघलने से बनने वाली धाराओं से मिलकर बनती है। गंगा 6 मुख्य धाराओं से मिलकर बनी है-

  1. अलकनंदा
  2. धौलीगंगा
  3. मंदाकिनी
  4. पिंडार
  5. नंदाकिनी
  6. भागीरथी
  • धौलीगंगा, अलकनंदा से विष्णु-प्रयाग में आकर मिलती है।
  • नंदाकिनी नन्द-प्रयाग में अलकनंदा से मिलती है।
  • पिंडार कर्ण-प्रयाग में अलकनंदा से मिलती है।
  • मंदाकिनी रुद्रप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है।

तत्पश्चात देव-प्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी मिलकर एक हो जाती हैं और यहीं से गंगा के नाम से ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार पहुँचती हैं। इसके पश्चात 800 किमी. तक बहने के बाद यह नदी कन्नौज के निकट अब्राहिमपुर में रामगंगा से मिलती है। इलाहाबाद में गंगा और यमुना का संगम हो जाता है। इलाहाबाद से आगे बहते हुए सिरसा के निकट टोन्स नदी, गंगा मे मिल जाती है। गाजीपुर के निकट बहते हुए गोमती नदी भी इसमे मिल जाती है। घाघरा नदी छपरा के निकट इसमें मिल जाती है। पटना के पास गंगा में सोन. गंडक और कोसी नदी गंगा से मिल जाती है और यहाँ से गंगा को पद्मा के नाम से जाना जाता है। यहाँ से आगे बढ़ते हुए राजमहल की पहाड़ियों से निकलकर ग्वालण्डो के निकट यह ब्रह्मपुत्र से मिल जाती है।

इसके आगे यह मेघना नदी से मिलकर 97 किमी. चौड़ा मुहाना बना कर बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। गंगा एवं मेघना नदी का डेल्टा विश्व में सबसे बड़ा डेल्टा है। इस डेल्टा में सुंदरी के पेड़ बहुतायत में पाए जाने के कारण इसे सुंदरवन भी कहते हैं।



यमुना नदी Yamuna River

यमुना नदी टिहरी गढ़वाल जिले के यमुनोत्रि ग्लेशियर से निकलती है। यमुना की कुल लंबाई 1376 किमी. है। हिमालय से उतरने के बाद इसमे आसन व गिरी नदियाँ मिल जाती हैं। आगे बढ़ते हुए इटावा के निकट इसमें चंबल व काली सिंधु नदियाँ मिलती है। हमीरपुर में चिल्लाघाट में इसमे केन  नदी मिलती है और इलाहाबाद में यह गंगा नदी से मिल जाती है।


रामगंगा Ramganga River

रामगंगा नदी रामगंगा पश्चिमी और रामगंगा पूर्वी दो नदियों से मिलकर बनती है। यह नदियाँ शाहजहाँपूर में एतमादपुर नमक स्थान पर मिल जाती है। रामगंगा पश्चिमी उत्तराखंड के पौढी-गढ़वाल जिले से निकलकर कुमाँऊ हिमालय पार करके, जिम कार्बेट नेशनल पार्क से बहते हुए एतमादपुर में  पूर्वी रामगंगा से मिल जाती है।


काली गंगा Kali Ganga

इसे शारदा अथवा चौका नदी के नाम से भी जाना जाता है। काली नदी कुमौऊ के उत्तर-पूर्वी भाग के मिलाम हिमनद से निलकती है। यह ब्रह्म घाट के निकट घाघरा से मिल जाती है।


करनाली, कौरियाला, सरयू या घाघरा नदी Karnali, Kauriyala, Saryu or Ghaghra River

इस नदी की कुल लंबाई 1080 किमी है यह नदी पहाड़ी क्षेत्र में करनाली या कौरियलाके नाम से जानी जाती है। मैदानी क्षेत्र में यह शारदा नदी से मिलकर घाघरा नदी बनाती है। यह नदी तकलाकोट से 37 किमी उत्तर-पश्चिम मप्चाचुन्गो हिमनद से निकलती है। शिवालिक को ऑर करते हुए यह नदी शीशपानी नमक 180 मी. चौड़ा और 610 मी. गहरा खड्ड बनाती है। लगभग 970 किमी की यात्रा के बाद छपरा के पास यह गंगा में मिल जाती है।


राप्ती नदी Rapti River

यह नदी नेपाल से निकालकर बहराइच, गोंडा बस्ती व गोरखपुर से बहते हुए बरहज (देवरिया) के निकट घाघरा में मिल जाती है।


गंडक Gandak River

इस नदी को नेपाल में सालिग्रामि और मैदानों में नारायणी ने नाम से जाना जाता है। इस नदी में छोटे छोटे गोलमटोल सालिग्राम पत्थर पाए जाते हैं। यह नदी नेपाल के मुश्तांग क्षेत्र के नुहबीन हिमनद से निकलती है। यह नदी नेपाल में चितवन नेशनल पार्क और भारत में वाल्मीकि नेशनल पार्क से गुजरती है। इस नदी की दो मुख्य शाखाएँ है, पश्चिम में काली गंडक तथा पूर्व की ओर त्रिशूली गंगा। यह नदी पटना के निकट गंगा में मिल जाती है। इस नदी की कुल लंबाई 1310 किमी. के लगभग है।


कोसी या कौशकी नदी Kosi or Kaushaki River

कोसी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। इस नदी में 7 नदियों की धाराओं के मिलने के कारण इस ‘सप्त्कोसी’ भी कहा जाता है। इसमें कंचनजंघा से निकलने वाली कुमार कोसी, माउंट एवरेस्ट से निकलने वाली अरुण कोसी, गोसाईं थान से निकलने वाली सुन कोसी प्रमुख धाराएँ हैं। इसके बाद नदी को सप्तकोशी कहा जाता है। शिवालिक को पार करते हुए, तराई क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद से इसे कोशी (या कोसी) कहा जाता है। कुरसेला के पास गंगा में मिलने से पहले यह नदी अपना डेल्टा बनाती है। यह नदी अपना मार्ग बार बार बदलती रहती है और इस नदी में भयंकर बाढ़ आती रहती है इसलिए इसे बिहार का शोक भी कहा जाता है।


चंबल नदी Chambal River

यह नदी मध्य प्रदेश में जनपाव पहाड़ियों से निकलती है। यह पहले उत्तर पूर्व की ओर बढ़कर मध्य प्रदेश के भिंड व मुरैना जिलों एवं राजस्थान के झालावाड़, कोटा,, बूँदी, और धौलपुर जिलों से बहते हुए इटावा के निकट यमुना में मिल जाती है। कोटा में भैंसरोड गढ़ के  निकट 18 मी. की उँचाई से इसका जल चूलिया प्रपात से गिरता है। इस नदी की सहायक नदियाँ काली सिंधु, सिवान, पार्वती और बनास हैं। इस नदी ने अपने मध्यवर्ती भागों में बीहड़ों का निर्माण किया है। राजस्थान की यह एकमात्र सदावाहिनी नदी है। इस नदी का पौराणिक नाम ‘चरमावती’ था।


बेतवा व वेत्रावती नदी Betwa or Vetravati River

यह नदी मध्य प्रदेश भोपाल से निकालकर हमीरपुर के निकट यमुना में मिल जाती है। सांची और विदिशा जैसे प्राचीन नगर इसके किनारे स्थित हैं। इस नदी की कुल लंबाई 480 कीं. है। माताटीला बाँध (उत्तर प्रदेश) तथा राजघाट बाँध इसी नदी पर अवस्थित हैं।


सोन या स्वर्ण नदी Son River

सोन नदी अमरकंटक की पहाड़ियों से निकल नर्मदा नदी के उदगम के पास से ही निकलती है। यह नदी दानापुर (पटना) के निकट गंगा में मिल जाती है।


दक्षिणी टोन्स या तमसा नदी South Tones or Tamsa River

यह तैमूर की पहाड़ियों में स्थित तमसा कुंड नमक जलाशय से निकलकर उत्तर-पूर्वी दिशा में बहते हुए इलाहाबाद के सिरसा के निकट गंगा में मिल जाती है। यह नदी कई झरने बनाती है।


ब्रह्मपुत्र नदी Brahmputra River

यह नदी आंगज़ी(Angsi) ग्लेशियर बोरांग, तिब्बत से निकलती है। कुछ विद्वानों के अनुसार यह नदी कैलाश पर्वत पर मानसरोवर के निकट चेमायुंग दुंग ग्लेशियर, तिब्बत से निकलती है। नवीनतम उपग्रह तकनीकों से वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है की यह नदी आंगज़ी ग्लेशियर से ही निकलती है।ब्रह्मपुत्र नदी की लम्बाई अपने उद्गम स्थान से लेकर पद्मा नदी में मिलने तक लगभग 2900 किलोमीटर है।

प्रारंम्भ में यह नदी तिब्बत में सान्ग-पो के नाम से बहती है। इसके बाद नामचा-बरवा पर्वत के पास दक्षिण पश्चिम दिशा में मुड़ कर अरूणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है जहाँ इसे सियांग कहा जाता है। उँचाई को छोड़कर यह नदी जब मैदानों में प्रवेश करती है तो इस दिहांग के नाम से जाना जाता है। असम में यह नदी काफ़ी चौड़ी हो जाती है। कहीं-कहीं इस नदी की चौड़ाई 10 किमी. तक है। डिब्रूगढ और लखीमपुर के समीप यह नदी दो भागों में बँट जाती है। असम में ही नदी की दोनो शाखाएँ मिलकर दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली(Majuli)’ द्वीप बनती हैं। असम में प्रायः इन नदी को ब्रह्मपुत्र ही कहते है। बोडो लोग इस नदी को ‘भुल्लम-भुथर’ भी कहते है जिसका अर्थ होता है ‘कल-कल की आवाज़ निकालना’। ग्वालण्डो के निकट ब्रह्मपुत्र पद्मा नदी से मिल जाती है। आगे बढ़ने पर इसमें मेघना नदी भी मिल जाती है। ब्रह्मपुत्र में मिलने वाली नदियाँ दिबांग, लोहित, सेसरी, निचली दिबांग, स्वर्ण सीरी, भाद्री, घनसीरी, बनण्दी, मानष-संकोष, तीस्ता, बूढ़ी दिहांग, दिसांग-दिखो, झांझी, कुलसी, जिंज़ीरम, पद्मा, मेघना और यमना हैं। पद्मना और यमना चांदपुर के निकट मेघना में मिलती हैं। यहाँ कई छोटी-छोटी धाराएँ मिलकर एक चौड़ी एस्च्यूवरी (Estuary) बनाती हैं।


सिंधु नदी Sindhu River

भारत में इस नदी की कुल लंबाई 1346 किमी है। यह नदी तिब्बत के पठार की लद्दाख श्रेणी के उत्तरी भाग सेन्नगे ज़ंगबो (Sengge Zangbo) नदी इसका स्रोत है। इस नदी का अपवाह क्षेत्र पाकिस्तान में 93% और भारत में 5% और चीन में 2% है यह नदी पाकिस्तान में डेल्टा बनाती है। ऋग्वेद में इसे सप्त सिंधु, ईरान के जिंद-अवेस्ता में हप्त सिंधु (दोनो का ही अर्थ सात नदियाँ होता है) कहा गया है।

इसमें मिलने वाली प्रमुख नदियाँ जास्कर, स्यांग, शिगार-गिलकिट है, सतलज़ और चेनाब की सयुंक्त धारा भी इसमें मिलती है।


सतलज़ या सतद्रु Satlej River

सतलज़ को कभी कभी लाल नदी के नाम से भी जाना जाता है। इस नदी की लम्बाई पंजाब में बहने वाली पाँचों नदियों में सबसे अधिक है।ऋग्वेद के नदीसूक्त में इसे शुतुद्रि कहा गया है। वैदिक काल में सरस्वती नदी ‘शुतुद्रि’ में ही मिलती थी। ये नदी कैलाश मानसरोवर झील के निकट राक्षसताल या रक्ष्ताल से निकलती है। सतलज़ नदी शिपकी-ला दर्रे के पास से गुजरते हुए हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है।  हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों से अपना रास्ता तय कराते हुये यह नदी पंजाब के नांगल में प्रवेश करती है। नांगल से कुछ किलोमीटर ऊपर हिमाचल प्रदेश के भाखड़ा में सतलुज पर बांध बनाया गया है। बांध के पीछे एक विशाल जलाशय का निर्माण किया गया है, जो गोविंद सागर जलाशय कहलाता है। भाखड़ा नांगल परियोजना से पनबिजली का उत्पादन होता है, जिसकी आपूर्ति पंजाब और आसपास के राज्यों को की जाती है।लगभग 15 किमी. बहने के बाद यह नदी पाकिस्तान में प्रवेश कर जाती है। पाकिस्तान में ऊँच शरीफ के पास सतलज़, चेनाब नदी से मिल जाती है। इसकी मुख्य सहायक नदी सिप्ती नदी है। सतलज़ भारत में 1050 किमी. लंबी है। यह नदी कपूरथला के निकट व्यास नदी से मिल जाती है तथा मिथनकोट के निकट यह नदी सिंधु नदी से मिल जाती है।

सतलुज पर भाखड़ा पर बने बांध से बिजली की आपूर्ति होती है। नागल बांध की नहर, सरहिंद और बिस्त-दोआब की नहर, जो रोपड़ से निकलती है, सरहिंद जैसी सहायक नहर, राजस्थान नहर और बीकानेर नहर, जो हुसैनीवाला से निकलती है, सभी सतलुज से ही पानी प्राप्त करती हैं।


झेलम या वितस्ता Jhelum River

संभवत: सर्वप्रथम मुसलमान इतिहासकारों ने इस नदी को ‘झेलम’ कहा, क्योंकि यह पश्चिमी पाकिस्तान के प्रसिद्ध नगर झेलम के निकट बहती थी और नगर के पास ही नदी को पार करने के लिए शाही घाट या शाह गुज़र बना हुआ था। झेलम नगर के नाम पर नदी का वर्तमान नाम प्रसिद्ध हो गया।

यह नदी कश्मीर में शेषनाग झील से निकलकर 212 किमी. उत्तर-पश्चिम में बहती हुई कश्मीर घाटी में वुलर झील से मिलती है। यहाँ से निकलकर श्रीनगर के निकट यह सिंधु नदी से मिल जाती है। बारामूला के आगे जा कर यह गहरी घाटी बनती है तथा इसमें किशनगंगा नदी मिलती है। त्रिमू (झांग जिला, पाकिस्तान) के निकट यह चेनाब नदी से मिल जाती है। यह नदी कश्मीर में व्यापारिक आवागमन का मुख्य साधन है।


चेनाब या चंद्रभागा Chenab River

चेनाब नदी लाहौल घाटी में बारा-लाचा दर्रे से चन्द्र और भागा नदियों के रूप में निकलती है। यह दोनो नदियाँ टॅंडी गाँव के निकट मिल जाती हैं। जम्मू कश्मीर में किश्तवाड़ से 12 कीं दूर भंडेरकोट के निकट यह मारू नदी से मिलकर चेनाब के रूप में आगे बदती है। त्रिमू के निकट यह झेलम नदी से मिल जाती है और अह्मद्पुर(पाकिस्तान) के निकट इसमे सतलज़ नदी मिल जाती है। पाकिस्तान में ऊँच शरीफ के पास सतलज़, चेनाब नदी से मिल जाती है। भारत में फ़िरोजपुर के पास व्यास नदी सतलज़ से मिलकर ‘पंचनद’ बनाती हैं। मिथनकोट के निकट यह सिंधु नदी से मिल जाती है। हीर-रांझा, सोनी-महिवाल जैसे काव्यों में चेनाब नदी का उल्लेख मिलता है।


रावी नदी Ravi River

इस नदी का वैदिक नाम परुष्णी या ईरावती भी है। यह पंचनाद नदियों में सबसे छोटी नदी है। रावी नदी भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में काँगड़ा जिले के हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में मनाली के समीप से निकलती है। यह नदी डलहौजी की पहाड़ियों के दक्षिण-पश्चिम और चम्बा की खूबसूरत घाटियों से बहते हुए अहमाडपुर के निकट चेनाब से मिल जाती है। यहीं नदी के पश्चिमी किनारे पर शाहदरा बाग में जहाँगीर और नूरजहाँ का मकबरा भी है।  देग नदी इसकी मुख्य सहायक नदी है। नदीतट पर स्थित मुख्य नगर लाहौर है। माधोपुर (भारत) के पास नदी से बारी दोआब नहर निकाली गई हैं, जो 1878-1879 में बनकर तैयार हुई थी। यह पंजाब (भारत एवं पाकिस्तान) में सिंचाई का एक महत्वपूर्ण साधन है। नदी की कुल लंबाई 450 मील (725 किमी.) है।


व्यास नदी Beas River

ब्यास नदी का पुराना नाम ‘अर्जिकिया’ या ‘विपाशा’ था। यह नदी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में व्यास कुंड से निकलती है। व्यास कुंड पीर पंजाल पर्वत शृंखला में स्थित रोहतांग दर्रे में है। यह नदी कुल्लू, रोहतांग दर्रे से होते हुए मंडी. कांगड़ा से बहती हुई कपूरथला और अमृतसर की सीमा बनाती हुई सतलज़ मे मिल जाती है। इस नदी की कुल लंबाई 470 किमी. है। 326 ई. पू. महान सिकंदर के सामने इस नदी ने भारत में घुसने में समस्या खड़ी कर दी थी और उसके सैनिकों ने आगे न जाने के लिए विद्रोह कर दिया था, क्योंकि वे 8 सालों से अपने घर नहीं गये थे।


प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ  Rivers of Peninsular India

गोदावरी नदी Godavari River

गोदावरी दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी है जो पश्चिमी घाट त्रयंबकेश्वर गाँव नासिक, महाराष्ट्र पृष्ठवर्ती पहाड़ियों में स्थित एक बड़े जलागार से निकलती है। इसे दक्षिण की गंगा के नाम से भी जाना जाता है। इसकी लंबाई 1440 किमी (900 मील) है। इसकी मुख्य सहायक नदियाँ पूर्णा, प्रवरा, इंद्रावती, मंजीरा, बिंदुसरा, सावरी, वैनगंगा एवं वर्धा हैं। इन नदियों के मिलने से इसमें जल की मात्रा बहुत बढ़ जाती है। समुद्र में मिलने से 60 मील पहले यह नदी बहुत ही सँकरी उच्च दीवारों के बीच से बहती है। बंगाल की खाड़ी में दौलेश्वरम्‌ के पास डेल्टा बनाती हुई, सात धाराओं के रूप में (जिसमें गौतमी गोदावरी मुख्य हैं) यह नदी समुद्र में गिरती है। गोदावरी डेल्टा में स्थित कोरिंगा मैंग्रोव फॉरेस्ट, देश का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव जंगल है।कृष्णा गोदावरी बेसिन ओलिव-रिडले संकटप्राय समुद्रि कछुओं के अंडा देने का प्रमुख स्थान है।

पूर्वी घाट को पर करने बाद यह नदी फैल कर इतनी चौड़ी हो जाती है कि इसमें अनेक द्वीप और प्रायद्वीप बन जाते हैं। राजमुंदरी के निकट गोदावरी की धारा 2.7 किमी चौड़ी हो जाती है। यहीं इसके आधार पर 4 किमी लंबा ऐनीकट बाँध बनाया गया है, जिसे सर आर्थर काटन ने बनवाया था, जिससे तीन प्रमुख नहरें निकाली गई हैं।। यही पर त्रिकोणाकार डेल्टा बनती हुई यह बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।गोदावरी नदी पर्वतीय तथा पठारी नदी है जिसमें पर्याप्त झरने हैं अत: जल यातायात के लिये उपयुक्त नहीं है।


महानदी Mahanadi

महानदी कई पहाड़ी झरनो से मिलकर बनती है, इसलिए इसके मुख्य उदगम स्थल का पता लगाना कठिन है। इसका मुख्य दूरस्थ जल-स्रोत छत्तीसगढ़, धमतरी जिले(दंडकारण्य) में स्थित सिहावा नामक पर्वत श्रेणी में स्थित है । महानदी नाम पड़ने का एक कारण इसमें निहित खनिज पदार्थों का पाया जाना भी था। पुरातत्वविदों का अनुमान है कि महानदी में न केवल सोना, बल्कि हीरा आदि अनमोल रत्नों का भंडार भी है। शिवनाथ नदी छत्तीसगढ़ की दूसरी सबसे बड़ी नही है जो महानदी में शिवरीनारायण में मिलती है। पैरी नदी एक और सहायक नदी है जो वृन्दानकगढ़ जमींदारी से निकलती ही राजिम क्षेत्र में महानदी से मिलती है। इसके अतिरिक्त खारून तथा अरपा नदियाँ भी शिवनाथ नदी में समाहित होकर महानदी की विशाल जलराशि का हिस्सा बनती हैं। बालासोर जिले में वैतरणी नदी इसमें मिल जाती है। 858 किमी. बहने के बाद महानदी केंद्रपारा. उड़ीसा में डेल्टा बनाती है, यहाँ इसमें ब्राह्मणी नदी आ कर मिलती है। इसके एक मुहाने पर स्थित पुरी एक विख्यात तीर्थस्थल है।

संबलपुर में इस नदी पर निर्मित हीराकुंड बाँध के फलस्वरूप 55 किलोमीटर लम्बी कृत्रिम झील का निर्माण हो गया है। इस बाँध में कई पनबिजली संयंत्र हैं। यह नदी सिंचाई की कई नहरों को, विशेषकर कटक के पास, जल प्रदान करती है।


कृष्णा नदी Krishna River

कृष्णा नदी महाराष्ट्र के महाबलेश्वर के पास पश्चिमी घाट के सह्य पर्वत से निकलती है। कृष्णा नदी को दो सबसे बड़ी सहायक नदियां, भीमा (उत्तर) और तुंगभद्रा (दक्षिण) हैं। भीमा नदी (महाराष्ट्र) पर उजैनी बांध और तुंगभद्रा नदी पर हौसपेट में बने एक अन्य बांध से सिंचाई की सुविधा में वृद्धि हुई है एवं विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति भी होती है। कृष्णा की अन्य सहायक नदियाँ कोयना, मलप्रभा, घाटप्रभा, मूसी, येरला,  पॅंचगंगा, दूधगंगा आदि हैं। सतारा जिले में जहाँ 4 नदियों का संगम होता है उसे प्रीतसंगम (Lovers meeting point) कहते हैं। इन 4 नदियों में वेना नदी मछुली(सतारा) के निकट, उरमोदी नदी काशील(सतारा) के निकट, तारली नदी उम्ब्रज(सतारा) के निकट तथा कोयना नदी कराड़(सतारा) के निकट इसमे मिलती है। वरना नदी जहाँ कृष्णा से मिलती है उसे ‘संगमेश्वर’ के नाम से जाना जाता है।पंचगंगा नदी नयसोबबाद(सांगली) के निकट इसमे मिलती है। तुंगभद्रा और मवांसी नदी आंध्र-प्रदेश के कुर्नुल जिले में जहाँ कृष्णा से मिलती है उसे ‘संघमेशवरम’ के नाम से जाना जाता है। यहीं श्रीशीलम जलाशय में ‘संघमेशवरम’ मंदिर है जहाँ गर्मी के दिनो में जलस्तर कम होने पर श्रद्धालु दर्शन करते हैं। इस नदी की कुल लंबाई लगभग 1400 किमी. है।


पेन्नार नदी Pennar River

पेन्नार नदी कर्नाटक के नंददुर्ग पहाड़ो से निकाल कर 570 किमी. पूर्व की ओर बहने के बाद कोरोमंडल तट की ओर मुड़कर नेल्लोर के पास बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। पापाधन और चित्रावती इसकी सहायक नदियाँ हैं।


दक्षिण पेनकिंग नदी South Penking River

यह नदी चन्नाकेशव पहाड़ी से निकलकर तमिलनाडु के कुड्डलुर में फ़ोर्ट सेंट डेविड के पास बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। इस नदी की लंबाई 400 किमी है।


कावेरी नदी Kaveri River

कावेरी नदी का उदगम स्थल कर्नाटक के कोडुगा मे तलकावेरी नामक स्थान से होता है। कावेरी नदी यहाँ से निकलकर 765 किमी. बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसकी सहायक नदियाँ सिन्सा, हेमवती, अर्कावती, होनुहोल, लक्ष्मणतीर्थ, काबिनी, भवानी, अमरावती, नोयल आदि सहायक नदियाँ हैं। मैसूर के पश्चिम में यह नदी शिवसमुद्रम और श्रीरंगपट्टनम नमक द्वीप बनाती है। यह नदी अपने मार्ग में कई खूबसूरत झरने बनाती है।जैसे शिवसमुद्रम जल-प्रपात (उँचाई 320 फिट या 98 मी.)। कावेरी नदी के डेल्टा में तंजाउर का उपजाऊ जिला बसा है। इसे दक्षिण का उद्यान भी कहा जाता है। दोद्दा-बेटा कावेरी घाटी का सबसे उँचा शिखर है। मैसूर के पास कृष्णराज सागर पर दर्शनीय ‘वृंदावन गार्डन’ इसी नदी के किनारे पर निर्मित है।


तुंगभद्रा नदी Tungbhadra River

यह नदी तुंगा और भद्रा नदियों के मिलने से बनती है। यह दोनो नदियाँ कर्नाटक के शिमोगा जिले में कुडाली नामक जगह पर मिल कर तुंगभद्रा नदी बनती हैं। तुंगा नदी पश्चिमी घाट की गंगा-मूल छोटी से तथा भद्रा नदी कर्नाटक के करूर जिले से निकलती है। यह कृष्णा की प्रमुख सहायक नदी है। विजयनगर व हम्पी के प्राचीन ऐतिहासिक राज्य इसी नदी के किनारे बसे थे। विजयनगर के राजाओं ने तुंगभद्रा नदी पर 7 बड़े बाँध बनवाए थे। इस नदी में मगरमच्छ अधिक पाए जाते हैं।


अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ Rivers draining into the Arabian Sea 

माही नदी Mahi River

माही नदी मध्य प्रदेश के धार जिले में विंध्याचल श्रेणी के पश्चिमी भाग से अमझरा नमक स्थान से, मेहन्द झील से निकलती है। यह नदी मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से 580 किमी. बहने की बाद भरूच,गुजरात के निकट खम्भात की खड़ी में गिर जाती है। माही नदी पर बांसवाड़ा ज़िले में माही बजाज सागर बाँध(Mahi Bajaj Sagar Dam Project)’ बनाया गया है।नदी द्वारा लाए गए गाद के कारण ‘खम्भात की खाड़ी’ छिछली हो गई है और इस तरह कभी समृद्ध रहे बंदरगाह को अब बंद कर दिया गया है। माही की प्रमुख सहायक नदियाँ सोम, जाखन, बनास, चाप और मोरन हैं।


नर्मदा नदी Narmada River

नर्मदा नदी मध्य प्रदेश में अमरकंटक की पहाड़ियों में स्थित महाकाल पर्वत के नर्मदा कुंड से निकलती है। यह नदी 1312 किमी. लंबी है। नर्मदा मध्य भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहती हुई खम्भात की खाड़ी में गिर जाती है। यह नदी अपने मुहाने पर डेल्टा नहीं बनाती है। इस नदी को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा भी कहते हैं। अपने रास्ते में यह कपिल-धारा(उँचाई 150 फीट) और धुआँधार (उँचाई 30फीट) जल प्रपात बनाती है। भेंड़ा-घाट और धुआँधार जल प्रपात अपनी संगमरमर की चट्टानों के लिए प्रसिद्ध है। नर्मदा घाटी में कुछ मशहूर राष्ट्रीय वन्य जीव अभ्यारण और वाइल्ड लाइफ सैंचुरी जैसे कान्हा नेशनल पार्क(Kanha National Park), मांडला पादप जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान(Mandla Plant Fossils National Park), सतपुडा नेशनल पार्क(Satpuda National Park)। गंगा के उपरान्त भारत की पवित्र नदियों में नर्मदा एवं गोदावरी के नाम आते हैं।  नर्मदा की समस्याओं को लेकर संदर लाल बहुगुणा, मेधा पाटेकर, बाबा आम्टे जैसे समाजसेवियों पर्यावरणविदों ने समय-समय पर आवाजें उठाईं हैं।


तापी या ताप्ती नदी Tapi or Tapti River

तापी नदी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में मुलताई नमक स्थान से निकलती है। यह नदी सतपुड़ा पहाड़ो के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई महाराष्ट्र के खानदेश के पठार से गुजरती हुई, सूरत के निकट अरब सागर में गिर जाती है। इस नदी की कुल लंबाई लगभग 725 किमी है।

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