रसायन विज्ञान – शब्दावली Chemistry – Glossary

अम्ल वर्षा Acid Rain यह मुख्यतः वायुमण्डलीय SO2 के H2SO4 बनाने तथा NO2 के NSO3 बनाने और इन अम्लों के वर्षा के पानी में घुलकर पृथ्वी पर बरसने के कारण होती है।

अपररूपता Allotropy कोई तत्व एक से अधिक रूपों में विद्यमान रहे, जिनके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न हों किन्तु रासायनिक गुण समान हों, जैसे कार्बन के अपररूप हीरा तथा कोयला हैं।

मिश्र धातु Alloy – धातुओं या धातु और अधातुओं के सरल मिश्रण और ठोस विलयनों को, जिनमें धात्विक गुण होते हैं, मिश्रधातु कहते हैं।

अमलगम Amalgam – मरकरी का अन्य धातुओं के साथ मिश्रधातु सिल्वर अमलगम दांतों की कैविटी भरने में काम आता है। ऐरोमैटिक यौगिक- वे यौगिक जिनमें 6 कार्बन परमाणु जुड़कर चक्र बनाते हैं। ये कार्बन परमाणु एकान्तर स्थिति में तीन एकल बन्ध के साथ और तीन द्विबन्ध के साथ जुड़े रहते हैं।

एरोसोल- किसी गैस में द्रव या ठोस कणों का परिक्षेपण एरोसोल कहलाता है। जब परिक्षेपित कण ठोस होता है तो एरोसोल को धुंआ कहते हैं। जब परिक्षेपित पदार्थ द्रव होता है तो उसे कोहरा कहते हैं।

अतः धुआ = गैस + ठोस कण

कोहरा = गैस + द्रव कण


ऐवोगैड्रो परिकल्पना Avogadro Hypothesis – समान ताप तथा दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।

बैकिंग चूर्ण Baking Powder – सोडियम बाइकार्बोनेट, स्टार्च, क्रीम ऑफ टार्टर एवं सोडियम अमोनियम सल्फेट का मिश्रण, जो बेकिंग में काम आता है।

बेंजैल्डिहाइड Benzaldehyde कड़वे बादाम का तेल जो रंजक, सुगन्ध बनाने में प्रयुक्त होता है।

बेन्जीन Benzene कोलतार के प्रभाजी आसवन से प्राप्त रंगहीन द्रव, जिसका उपयोग विलायक के रूप में किया जाता है।

सेबिन (भोपाल गैस त्रासदी)- भोपाल में 2-12-1984 की रात्रि को एक भयंकर गैस दुर्घटना हुई, जिसमें यूनियन कार्बाइड लिमिटेड के संयन्त्र के टैंक से अत्यन्त प्राणघातक गैस, मेथिल आइसोसायनेट रिसकर घने बादल के रूप में भोपाल के ऊपर फैल गई। इस संयन्त्र में MIC एक उपयोग कार्बारिल नामक कीटनाशी के उत्पादन के लिए किया जाता था। इस कीटनाशी का व्यापारिक नाम सेबिन था।

विरंजक चूर्ण Bleaching Powder – कैल्सियम ऑक्सीक्लोराइड, जिसका उपयोग विरंजन में किया जाता है।

क्वथनांक Boiling Point – वह ताप, जिस पर किसी द्रव का वाष्प दाब, वायुमण्डलीय दाब 760 मिमी के बराबर हो जाए, उस द्रव का क्वथनांक कहलाता है।

केसीन Casein – दूध में पायी जाने वाली प्रोटीन।

सीमेण्ट Cement – सिलिका, लाइम, एल्युमिना, आयरन ऑक्साइड तथा मैग्नीशियम से बना पदार्थ।

सिरैमिक- मिट्टी या अन्य अधातु खनिजों को पकाकर/जलाकर बनाया गया पदार्थ, जैसे-पॉटरी, टाइल्स, ईंट आदि।

कैल्सियम कार्बोनेट- श्वेत यौगिक, CaCO3 जो चुने के पत्थर तथा संगमरमर में पाया जाता है एवं इसका उपयोग चूना बनाने में होता है।

कैलोरी-1 ग्राम जल का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने में जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, उसे 1 कलौरी कहते हैं। इसे 15°C केलोरी भी कहते हैं।

कार्बोहाइड्रेट- पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड या कीटोन।

कार्बन- यह वर्ग IV का अधातु तत्व है। हीरा तथा ग्रेफाइट इसके अपररूप हैं।

कार्बन मोनोऑक्साइड- रंगहीन, गन्धहीन तथा अत्यन्त विषैली गैस, जो रक्त के हीमोग्लोबिन के साथ कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाकर मनुष्य की मृत्यु भी कर सकती है। इसी गैस के कारण बन्द कमरे में कोयले की अंगीठी जलाकर सोने पर मृत्यु भी हो सकती है।

उत्प्रेरण- किसी पदार्थ की उपस्थिति से यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर परिवर्तित हो जाती है, परन्तु पदार्थ स्वयं अभिक्रिया के अन्त में रासायनिक रूप से अपरिवर्तित रहता है तो इसे उत्प्रेरण कहते हैं।

उत्प्रेरक- जो पदार्थ किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर को परिवर्तित कर देता है, परन्तु स्वयं अभिक्रिया के अन्त में रासायनिक रूप में अपरिवर्तित रहता है, उसे उत्प्रेरक कहते हैं।

क्लोरेफॉर्म- रंगहीन भारी द्रव CHCl3, जिसकी वाष्प सूंघने पर सामान्य निश्चेतना आ जाती है।

रासायनिक युद्ध- सैनिक कार्यों के लिए, रासायनिक अभिकर्मकों का प्रयोग जो जलन उत्पन्न करते हैं, दम घोंटकर अथवा विषैली गैसों द्वारा शत्रु पक्ष का हताहत करते हैं।

क्लोरोफ्लोरो कार्बन- CFCs ही वायुमण्डलीय ओजोन परत के क्षरण का मुख्य कारण है। ये यौगिक फ्रीऑन भी कहलाते हैं। एक रोचक तथ्य यह है कि अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत का क्षरण सितम्बर के प्रारम्भ से अक्टूबर के अन्त तक होता है तथा इसके पश्चात् नवम्बर-दिसम्बर में ओजोन परत की पुनः पूर्ति हो जाती है।

साइट्रिक अम्ल- सिट्रस फलों का अम्ल, जो नीबू तथा सन्तरों में उपस्थित होता है।

स्कन्दन- द्रव-विरोधी कोलॉइडी विलयन में विद्युत्-अपघट्य की थोड़ी-सी मात्रा मिलाने पर कोलॉइडी कणों का अवक्षेपित होना, स्कन्दन कहलाता है।

कोल गैस- वायु की अनुपस्थिति में कोल के भंजक आसवन से प्राप्त गैस, जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।

कोलतार- काला, गाढ़ा द्रव जो कोल के भंजक आसवन से प्राप्त होता है।

कोलॉइड- इस प्रकार के घोल में कणों के आकार 10-7 से 10-5 सेंटीमीटर तक होता है। जीवद्रव्य भी एक कोलॉइड है।

आयनेमाइड- रंगहीन क्रिस्टलीय अस्थायी यौगिक, जो उर्वरक के निर्माण में उपयोगी है।

डीडीटी- डाइक्लोरो डाइफेनिल ट्राइक्लोरो एथेन। एक रंगहीन चूर्ण, जो प्रबल कीटनाशक है।

निथारना- नीचे बैठे ठोस पदार्थ को छोड़कर ऊपर के स्वच्छ द्रव पृथक् करना।

विघटन- पदार्थ के एक घटक का तत्वों में अपघटन।

अपमार्जक- ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक सल्फेनिक अम्ल के सोडियम लवण, जिनमें साबुन की तरह मैल साफ करने का गुण होता है।

अपोहन- पार्चमेन्ट झिल्ली द्वारा कोलॉइडी विलयन से उसमें उपस्थित घुले हुए अशुद्ध पदार्थों को निष्कासित करना।

हीरा- शुद्ध कार्बन का कठोरतम अपररूप। इसका उपयोग कांच को काटने में किया जाता है।

अक्रिय गैसें- समूह 18 के अक्रिय गैसीय तत्व-हीलियम, निऑन, आर्गन, क्रिप्टॉन,जीनॉन तथा रैडॉन।

अगलनीय- पदार्थ जो कठिनाई से द्रवित हों।

अकाबनिक रसायन- इसके अन्तर्गत सभी तत्वों और उनके यौगिकों का अध्ययन किया जाता है (कार्बनिक यौगिकों को छोड़कर)।

कीटनाशी- यौगिक जो कीटों को नष्ट करें, जैसे- DDT, BHC आदि।

आयोडीन- ठोस हैलोजेन, जो रखने पर उर्ध्वपातित हो जाती है तथा जिसका उपयेाग पूतिरोधी के रूप में होता है।

समभारी- समान परमाणु द्रव्यमान परन्तु भिन्न परमाणु क्रमांक।

समावयव- जिन यौगिकों के अणुसूत्र समान होते हैं किन्तु गुण एवं संरचना भिन्न-भिन्न होती है।

समन्यूट्रॉनिक- वे परमाण्विक नाभिक, जिनमें न्यूट्रॉनों की संख्या बराबर होती है किन्तु उनकी द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है।

समस्थानिक- समान परमाणु क्रमांक परन्तु भिन्न-भिन्न परमाणु द्रव्यमान।

केरोसीन आयल- कोल तथा पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन से प्राप्त होता है, जिसका उपयोग प्रदीपक, स्टोव के इंधन के रूप में होता हैं।

केओलिन- सफ़ेद महीन मिट्टी, जिसे चाइना क्ले व पोर्सेलेन कहा जाता है। यह खनिज केओलिनाइट Al4Si4O10(OH)8 की बनी होती है।

एल एम डी- लाइसर्जिक अम्ल डाइथाइलेमाइड- भ्रम उत्पन्न करने वाली ड्रग।

लैक्टिक अम्ल- खट्टे दूध में उपस्थित तथा लैक्टोस को जीवाणु किण्वन द्वारा प्राप्त।

लैक्टोस दूध की शर्करा।

द्रव्यमान संरक्षण का नियम- रासायनिक अभिक्रियाओं में पदार्थों का कुल द्रव्यमान अपरिवर्तित रहता है।

ला-शातेलिए का नियम- यदि एक साम्य निकाय के किसी कारक, जैसे- ताप, दाब या सान्द्रण में परिवर्तन किया जाता है तो साम्य उस दिशा में विस्थापित होता है, जिधर उस परिवर्तन का प्रभाव निरस्त होता है।

लिग्नाइट- मृदु काला कोल का रूप।

मैग्नीशया- श्वेत, स्वादहीन चूर्ण, Mg(OH)2 जो आमाशय की अम्लता दूर करता है।

गलनांक- वह ताप जिस पर कोई ठोस पदार्थ द्रव में परिवर्तित हो जाए।

मेन्थोल- पिपरमेण्ट के तेल से प्राप्त।

मरकरी चमकदार द्रव धातु।

मरकरी वाष्प लैम्प- एक गैस विसर्जन लैम्प जिसमें एक निर्वातित कांच की नली होती है। इसमें कुछ मरकरी होता है जो वाष्पित होकर विद्युत् विसर्जन में तीव्र प्रकाश देता है।

धातु प्रदूषक- कुछ भारी धातुएं जल में घुलकर उसे प्रदूषित करती हैं, जैसे- कैडमियम, लैड तथा मरकरी। Cd तथा Hg गुर्दों को नष्ट कर देते हैं। लैड गुर्दों, जिगर, मस्तिष्क तथा केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र को प्रभावित करते हैं।

उपधातु- तत्वों का एक समूह जिनके गुणधर्म, धातुओं तथा अधातुओं के मध्य होते हैं। ये अर्धधातु तथा अर्धचालक होते हैं।

धातुकर्म- अयस्क से धातु प्राप्त करने में प्रयुक्त विभिन्न प्रक्रमों को सामूहिक रूप से धातुकर्म कहते हैं।

दूधिया चूना- जल में कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड या जलयोजित चूने का निलम्बन।

दूधिया सल्फर- एक रंगहीन, गन्धहीन, हल्का अक्रिस्टलीय चूर्ण।

खनिज- धातु तथा उनके यौगिक पृथ्वी में जिस रूप में मिलते हैं, खनिज कहलाते हैं।

मिश्र धातु- एक स्वत: ज्वलनशील मिश्रधातु, जो सीरियम, आयरन, लैन्थेनम, नीऑडिमियम तथा अन्य विरल मृदा धातुओं से बनाई जाती है।

मोल किसी पदार्थ की मात्रा, जिसमें उसके 6.02213× 1023 कण उपस्थित होते हैं, पदार्थ का एक मोल कहलाती है।

अणु- किसी पदार्थ (तत्व या यौगिक) के सूक्ष्मतम कण, जो मुक्त अवस्था में रह सकते हैं तथा जिनमें उस पदार्थ के सभी गुण उपस्थित होते हैं, अणु कहलाते हैं।

नैफ्था- पेट्रोलियम, शेल ऑयल या कोलतार से प्राप्त कम अणु भार वाले हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण।

नैफ्थेलीन- पॉलीन्यूक्लियर हाइड्रोकार्बन, जिसकी गोलियां कीटों को दूर करने में उपयोगी हैं।

प्राकृतिक गैस- पेट्रोलियम के साथ प्राकृतिक गैस भी उपस्थित होती है, जो पेट्रोलियम के पृष्ठ पर दाब डालती है। इसका उपयोग ईधन के रूप में किया जाता है।

नीऑन- रंगहीन अक्रिय गैस, जिसका उपयोग नीऑन ट्यूबों के रूप में विज्ञापन चिन्हों के रूप में होता है।

नाइट्रोजन- रंगहीन, गन्धहीन गैस, जो वायुमण्डल में 78% तक उपस्थित रहती है। यह प्रोटीन का आवश्यक घटक है।

उत्कृष्ट गैसें- आवर्त सारणी के शून्य वर्ग में 6 तत्व हैं- हीलियम, निऑन, आर्गन, क्रिप्टॉन, जीनॉन तथा रैडॉन। ये सभी गैसीय हैं और बहुत अक्रिय हैं, अत: इन्हें ही अक्रिय या निष्क्रिय या उत्कृष्ट गैसें कहते हैं। इन गैसों की प्राप्ति दुर्लभ (वायु में 1% से भी कम) होने के कारण इन्हें दुर्लभ गैसें भी कहते हैं।

अ-लौह धातुएं- आयरन तथा स्टील के अतिरिक्त अन्य धातुएं।

नाभिकीय विखण्डन- परमाणु नाभिक का अत्यधिक ऊर्जा उत्सर्जन के साथ दो या दो अधिक खण्डों में विखण्डन।

न्यूक्लियर पॉवर- नाभिकीय रिएक्टरों की सहायता से उत्पादित विद्युत् को न्यूक्लियर पॉवर कहते हैं।

नाभिकीय रिएक्टर- यह एक भट्टी है, जिसमें विखण्डनीय पदार्थ का नियन्त्रित नाभिकीय विखण्डन कराया जाता है।

न्यूक्लिक अम्ल- DNA तथा RNA जो न्यूक्लियोटाइड तथा न्यूक्लियोसाइड से मिलकर बने होते हैं।

अधिधारण- किसी धातु द्वारा गैस या ठोसों की धारणा क्षमता को व्यक्त करने अथवा किसी अवक्षेप द्वारा विद्युत्-अपघट्य के अवशोषण को व्यक्त करने की विधि।

ऑक्टेन संख्या- परीक्षण की मानक परिरिस्थतियों में किसी ईधन के मिश्रण की अपस्फोटन मात्रा को व्यक्त करने वाली संख्या।

अयस्क- उन खनिजों को, जिनसे धातु निष्कर्षित करना आर्थिक रूप से लाभदायक होता है, अयस्क कहलाते हैं।

कार्बनिक रसायन- रसायन की उपशाखा, जिसके अन्तर्गत कार्बन के यौगिकों का अध्ययन किया जाता है।

ऑर्थोहाइड्रोजन- हाइड्रोजन अणु दो रूपों में पाया जाता है, जिसका कारण उसके दोनों परमाणुओं के नाभिकों के प्रचक्रण की दिशा में अन्तर है। यदि नाभिकों का चक्रण एक दिशा में हो तो उसे ऑर्थोहाइड्रोजन कहते हैं।

परासरण- विलायक के अणुओं का अर्धपारगम्य झिल्ली में होकर शुद्ध विलायक से विलयन की ओर या तनु विलयन से सान्द्र विलयन की ओर स्वत: प्रवाह, परासरण कहलाता है।

ऑक्सैलिक अम्ल- अत्यधिक विषैला अम्ल, जो ऑक्सैलिक समूह की वनस्पतियों जैसे-रूबाई, सोरल, आदि में पाया जाता है। इसका उपयेाग छपाई, रंगाई एवं स्याही के निर्माण में होता है।

ऑक्सीकरण- परमाणुओं, आयनों या अणुओं द्वारा एक या अधिक इलेक्ट्रॉन त्याग करने की प्रक्रिया ऑक्सीकरण कहलाती है।

ओजोन- ऑक्सीजन का अपररूप, जो ऑक्सीजन पर सूर्य की अल्ट्रावायलेट विकिरणों के प्रभाव से बनता है। अल्ट्रावालयेट प्रकाश की विकिरणों के प्रभाव से भू-पृष्ठ पर जीवों की रक्षा करने में ओजोन स्तर का विशेष महत्व है। क्लोरोफ्लुओरो कार्बन ओजोन स्तर का क्षय कर देते हैं।

फीनॉल- ऐरोमैटिक यौगिक, C6H5OH जिसका उपयोग कीटाणुनाशक एवं प्रतिरोधी के रूप में होता है।

प्रकाश-रासायनिक धूम/कुहरा- यह वाहनों तथा कारखानों से निकलने वाले नाइट्रोजन के ऑक्साइडों तथा हाइड्रोकार्बनों पर सूर्य के प्रकाश की क्रिया के कारण उत्पन्न होता है। यह सामान्यतः घनी आबादी वाले उन शहरों में होता है, जहां पेट्रोल व डीजल वाले वाहन बहुत अधिक मात्रा में चलते हैं और नाइट्रिक ऑक्साइड निकालते हैं। इससे आंखों में जलन होती है और आंसू आ जाते हैं। यह कुहरा श्वसन तन्त्र को भी हानि पहुंचाता है। इस कुहरे की भूरी धुंध NO2 के भूरे रंग के कारण होती है। NO से रासायनिक अभिक्रिया द्वारा NO2 बन जाती है।

दाब रसायन- रसायन की वह शाखा जिसके अन्तर्गत रासायनिक अभिक्रियाओं तथा प्रक्रमों पर उच्च दाब के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।

कच्चा लोहा- वात्य भट्टी से प्राप्त अशुद्ध आयरन को कच्चा लोहा कहते हैं। इसमें 2-4.5% तक कार्बन होता है।

बहुलकीकरण- वह प्रक्रम, जिसमें बड़ी संख्या में सरल अणु एक-दूसरे से संयोग करके उच्च भार का एक वृहत् अणु बनाते हैं, बहुलकीकरण कहलाता है।

बहुलक- बहुलकीकरण के फलस्वरूप बने उच्च अणु भार के यौगिक बहुलक कहलाते हैं।

पोटैशियम परमैंगनेट- बैंगनी क्रिस्टलीय ठोस KMnO4 जिसका उपयोग जल के शोधन एवं प्रतिरोधी के रूप में होता है।

चूर्ण धातुकी- धातुकर्म की एक विधि, जिसमें धातुओं का चूर्ण बनाकर सम्पीडन द्वारा उससे उचित आकार की वस्तुएं बनाई जाती हैं|

प्रूफ स्पिरिट- एथिल ऐल्कोहॉल का जलीय विलयन, जिसमें भार के अनुसार 49.28% एथिल ऐल्कोहॉल होता है।

प्रोटीन- उच्च अणु भार के नाइट्रोजन युक्त जटिल कार्बनिक यौगिक, जो सभी जीवित कोशिकाओं में पाये जाते हैं। एन्जाइम तथा हॉर्मोन भी प्रोटीन से बने होते हैं।

ताप-अपघटन- वायु की अनुपस्थिति में उच्च ताप पर गरम करने से कार्बनिक यौगिकों का तापीय अपघटन उनका ताप-अपघटन कहलाता है।

क्विक सिल्वर- पारे का दूसरा नाम।

जंग लगना- आयरन को नम वायु में रखने पर उसके पृष्ठ पर धीरे-धीरे रंग का हाइड्रेटेड फेरिक ऑक्साइड, Fe2O.XH2O की परत का जमना जंग लगना कहलाता है।

समुद्र जल- लवणीय स्वाद का द्रव, जिसमें 96.4% जल, 2.8% नमक, 0.4% मैग्नीशियम आयोडाइड तथा 0.2% मैग्नीशियम होता है।

सिलिका- कठोर अविलेय श्वेत उच्च गलनांक का ठोस, जो मुख्यत: SiO2 से बना होता है।

सिलिकन- अधातु, जिसका उपयोग कम्प्यूटर की इलेक्ट्रॉनिक चिप्स बनाने में होता है।

सोडियम वाष्प लैम्प- एक गैस विसर्जन, लैम्प, जिसमें सोडियम वाष्प का प्रयोग किया जाता है।

मृदु जल- जल, जो साबुन के साथ अधिक मात्रा में झाग उत्पन्न करे।

विलेयता- किसी पदार्थ की वह मात्रा, जो निश्चित ताप पर, 100 ग्राम विलायक को संतृप्त करने के लिए आवश्यक होती है, पदार्थ की विलेयता कहलाती है।

साबुनीकरण- वसा को सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में गर्म कर विघटित करने की क्रिया। साबुन में नमक मिलाने से उसकी घुलनशीलता कम हो जाती है।

स्टेनलेस स्टील- इसमें 89.4% लोहा, 10% क्रोमियम, 0.25% कार्बन तथा लगभग 0.35% मैंगनीज होता है। यह जंगरोधी है।

स्टील-स्टील में कार्बन की प्रतिशत मात्रा 0.25 से 1.5 तक होती है।

उर्ध्वपातन- वह प्रक्रम, जिसमें कोई ठोस गर्म करने पर बिना द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए सीधे वाष्प में बदल जाता है तथा उसकी वाष्प ठण्डा करने पर बिना द्रव अवस्था में बदले पुन: सीधे ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाती है, उर्ध्वपातन कहलाता है, जैसे- आब्रोडीन, नैफ्थेलीन आदि।

भू-पर्पटी- इसमें सबसे अधिक (49.9%) बहुल तत्व ऑक्सीजन है और दूसरे नम्बर पर सिलिकन (26%)।

सुक्रोस- गन्ने के रस से प्राप्त शर्करा C12H22O11.

सुपर फॉस्फेट ऑफ लाइम- फॉस्फेटी उर्वरक।

संश्लेषित रेशे- इसका निर्माण कार्बनिक यौगिकों के बहुलकीकरण द्वारा किया जाता है, उदाहरण-सेलुलोस, कपास, जूट आदि।

नायलॉन पहला मानव निर्मित रेशा है। PVC एक थर्मोप्लास्टिक है। थायोकॉल एक संश्लेषित रबड़ है। प्राकृतिक रबड़ में आइसोप्रीन होता है।

टैनिन- पौधों में प्राप्त रंगहीन, अक्रिस्टलीय पदार्थों का एक समूह, जो जल में कोलॉइडी विलयन देता है।

टार्टरिक अम्ल- इमली तथा अंगूर में उपस्थित। क्रीम ऑफ टार्टर का उपयोग बैकिंग पाउडर में किया जाता है।

थोरियम- मोनाजाइट रेत से प्राप्त रेडियो सक्रिय धातु, जिसका उपयोग नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन में होता है।

टाइटेनियम- यह अपने भार की तुलना में अधिक सुदृढ़ धातु है। यह संक्षारण का प्रतिरोधक तथा उच्च गलनांक वाला होता है। इसका उपयोग सेना के उपकरणों में किया जाता है। अत: इसे रणनीतिक धातु कहते हैं।

यूरेनियम- रेडियो सक्रिय धातु, जिसका उपयोग नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त करने में होता है।

वनस्पति तेल- वनस्पतियों, जैसे-पत्ती, बीज, फल, जड़, आदि से प्राप्त तेल।

सिरका- 6-10% ऐसीटिक अम्ल का जलीय विलयन।

विटामिन- सी-ऐस्कॉर्बिक अम्ल सन्तुलित भोजन का एक आवश्यक अवयव।

वाटर गैस- हाइड्रोजन तथा कार्बन मोनोऑक्साइड मिश्रित ईंधन गैस।

ढलवां लोहा- इसमें 98.8-99.9% लोहा तथा 0.1-0.25% कार्बन होता है।

जर्कोनियम- श्वेत धातु, जिसका उपयोग मिश्र धातु तथा अग्निरोधी यौगिक बनाने में होता है।

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