बजट 2016-17 की मुख्य विशेषताएं Budget 2016-17 Highlights

प्रस्तावना

  • वर्ष 2015-16 में अर्थव्यवस्था की 7.6 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई।
  • मंद वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को देदीप्यमान प्रकाश स्तंभ के रूप में आईएमएफ द्वारा सराहना की गई।
  • प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों और लगातार दो वर्ष में मानसून की 13 प्रतिशत कमी के बावजूद महत्तर वृद्धि प्राप्त की गई।
  • विदेश विनिमय आरक्षित निधि अभूतपूर्व रूप से लगभग 350 बिलियन अमरीकी डालर के उच्च स्तर पर पहुंची।
  • वर्ष 2015-16 में 14वें वित आयोग के अवार्ड के परिणामस्वरूप राज्यों को 55 प्रतिशत अधिक अंतरण के बावजूद आयोजना व्यय पूर्व के वर्षों की तुलना में संशोधित अनुमान स्तर पर वृद्धि हुई।

2016-17 में चुनौतियां

  • बढ़ती वैश्विक मंदी की जोखिम और अस्त-व्यस्तता।
  • 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों और एक रैक एक पेंशन के कारण अतिरिक्त राजकोषीय बोझ।

रोडमैप और प्राथमिकताएं

  • अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन में महत्तर प्रभाव के लिए ट्रांसफोर्म इंडिया

सरकार को निम्नलिखित पर ध्यान दिया जाना होगा –

  • बृहत आर्थिक स्थायित्व और विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन को सुनिश्चित करना।
  • घरेलू मांग को बढ़ावा देना।
  • हमारी जनता के कल्याण और जीवन बदलाव के लिए आर्थिक सुधारों और नीतिगत पहलें जारी रखना।
  • फार्म और ग्रामीण क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र, अवसंरचना क्षेत्र, रोजगार सृजन और बैंकों का पुनपूंजीकरण जैसे प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों में व्यय बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना।

निम्नलिखित के माध्यम से संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाना:

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
  • अस्पताल व्यय से बचाव के लिए नई स्वास्थ्य बीमा स्कीम
  • बीपीएल परिवारों के लिए रसोई गैस कनेक्शन सुविधा।
  • चालू सुधार कार्यक्रम जारी रखना और वस्तु तथा सेवाकर विधेयक एवं शोधन अक्षमता तथा दिवालियापन कानून पारित किया जाना सुनिश्चित करना।

निम्नलिखित के द्वारा महत्वपूर्ण सुधार कार्यक्रम प्रारंभिक करना:

  • आधार मंच को इधिक समर्थन प्रदान करना, जिससे पात्र लोगों तक लाभों की पहुंच सुनिधित की जा सके।
  • बाधाओं और प्रतिबंधों से परिवहन क्षेत्र को मुक्त करना।
  • बाजार स्वतंत्रता प्रदान करते हुए गैस-अन्वेषण और पर्यवेक्षण को प्रोत्साहित करना|
  • वितीय संस्थाओं की समस्याओं के समाधान के लिए समग्र कानून का अधिनियमन।
  • पीपीपी परियोजनाओं और लोक उपयोगिता संविदाओं में विवाद समाधान और दोबारा बातचीत करके निर्णय लेने के लिए कानूनी ढांचे प्रदान करना।
  • महत्वपूर्ण बैंकिंग क्षेत्र सुधार और साधारण बीमा कंपनियों की पब्लिक लिस्टिंग प्रारंभ करना। एफडीआई नीति में महत्वपूर्ण बदलाव लाना।

कृषि और किसान कल्याण


  • कृषि और किसान कल्याण के लिए 35,984 करोड़ रुपए का आबंटन।
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को मिशन मोड में लागू किया जाना। सिंचाई के अधीन 28.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र लाया जाएगा।
  • एआईबीपी के तहत 89 सिंचाई परियोजनाओं, जो काफी समय से आपूर्ण रही हैं, का त्वरित कार्यान्वयन।
  • नाबार्ड में लगभग 20,000 करोड़ रुपए की प्रारंभिक निधि से एक समर्पित दीर्घावधिक सिंचाई निधि सृजित की जाएगी।
  • बहु-पक्षीय निधियन के माध्यम से 6,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से भू-जल संसाधनों के सतत् प्रबंधन के लिए कार्यक्रम कार्यान्वित किया जाएगा।
  • मनरेगा के तहत वर्षापोषित क्षेत्रों में 5 लाख फार्म तालाबों और कूओं तथा जैविक खाद के उत्पादन के लिए 10 लाख कम्पोस्ट गड्ढों का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम, जिसमें मार्च, 2017 तक सभी 14 करोड़ फार्म जोत को शामिल करेगी।
  • उर्वरक कंपनियों के 2000 मॉडल खुदरा केंद्रों को अगले तीन वर्षों में मृदा और बीज परीक्षण सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
  • परस्परागत कृषि विकास योजना और पूर्वोततर क्षेत्र में जैविक मूल्य श्रृंखला विकास को जरिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • थोक बाजारों के लिए साझे ई-बाजार की व्यवस्था करने के लिए एकीकृत कृषि विपणन ई-प्लैटफार्म।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत आबंटन बढ़ाकर 19,000 करोड़ रुपए। वर्ष 2019 तक शेष 65,000 पात्र बस्तियों को सड़कों से जोड़ा जाएगा।
  • किसानों पर ऋण अदायगी के बोझ को कम करने के लिए, ब्याज सहायता हेतु बजट अनुमान 2016-17 में 15,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत आबंटन 5,500 करोड़ रुपए।
  • चार डेरी परियोजनाओं – पशुधन संजीवनी, नकुल स्वास्थ्य पत्र, ई-पशुधन हाट और राष्ट्रीय देशी नस्ल जेनोमिक केंद्र के लिए 850 करोड़ रुपए।

ग्रामीण क्षेत्र

  • ग्रामीण विकास के लिए 87,700 करेाड़ रुपए आबंटित
  • 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार ग्राम पंचायतों और नगरपालिकाओं को सहायता अनुदान के रूप में 2.87 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
  • सूखाग्रस्त और ग्रामीण आपदा से ग्रस्त प्रत्येक ब्लॉक दीनदयाल अन्तयोदय मिशन के तहत विशिष्ट ब्लॉक के रूप में काम किए जाएंगे।
  • मनरेगा के लिए 38,500 करोड़ रुपए की राशि आवंटित।
  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण शहरी मिशन के तहत 300 ग्रामीण शहरी क्लस्टर का विकास किया जाए।
  • 1 मई, 2018 तक 100 प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण।
  • विनिर्दिष्ट केंद्रीय क्षेत्र की तथा केंद्रीय प्रायोजित स्कीमों के कार्यान्वयन और मानीटरिंग के लिए जिले के वरिष्ठतम लोक सभा सांसद की अध्यक्षता में जिला स्तर की समितियां गठित की जाएंगी।
  • खुले में शौच से मुक्त हो जाने वाले गांवों को पुरस्कृत करने के लिए केंद्रीय प्रायोजित स्कीमों को लिए प्राथमिकता आधार पर आबंटन।
  • ग्रामीण भारत के लिए एक नया डिजिटल साक्षरता मिशन जिसमें अगले तीन वर्षों में लगभग 6 करोड़ और परिवार शामिल किए जांएगे।
  • राष्ट्रीय भूमि रिकार्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम का नवीकरण किया गया है।
  • 655 करोड़ रुपए के आबंटन के साथ राष्ट्रीय ग्राम स्वराज नामक नई स्कीम।

स्वास्थ्य देखभाल सहित सामाजिक क्षेत्र

  • शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल सहित सामाजिक क्षेत्र के लिए 1,51,581 करोड़ रुपए का आबंटन।
  • बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने के लिए प्रारंभिक लागत के लिए 2,000 करोड़ रुपए का प्रावधान।
  • नई स्वास्थ्य रक्षा स्कीम प्रत्येक परिवार को एक लाख रुपए तक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करेगी। इसके तहत वरिष्ठ नागरिकों को 30,000 रुपए तक अतिरिक्त टॉप-अप पैकेज का प्रावधान होगा।
  • वर्ष 2016-17 के दौरान प्रधानमंत्री की जन-औषधि योजना के तहत 3,000 स्टोर खोला जाएगा।
  • पीपीपी मोड के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय डायलिसिस सेवा कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
  • प्रत्येक बैंक शाखा में कम से कम दो परियोजनाओं को सुकर बनाने के लिए स्टॅण्ड-अप इंडिया स्कीम। यह कम से कम 2.5 लाख उद्यमियों को लाभ पहुंचाएगी।
  • उद्योग संघों की भागीदारी से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति हब की स्थापना की जाएगी।
  • पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की जन्मशती और गुरू गोविंद सिंह के जन्म की 350वीं वर्षगांठ मनाने के लिए प्रत्येक को 100 करोड़ रुपए का आवंटन।

शिक्षा, कौशल और रोजगार सृजन

  • 62 नए नवोदय विद्यालय प्रारंभ किए जाएंगे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर अधिक ध्यान देते हुए सर्वशिक्षा अभियान
  • 10 सरकारी और 10 निजी संस्थाओं को विश्वस्तरीय शिक्षण और अनुसंधान संस्थाओं के रूप में विकसित करने के लिए विनियामिक ढांचे को तैयार किया जाना।
  • 1000 करोड़ रुपए के प्रारंभ पूंजी आधार के साथ उच्चतर शिक्षा वित्तपोषण अभिकरण स्थापित किया जाना।
  • स्कूल लीविंग सार्टिफिकेट, कॉलेज उपाधि, अकादमी पुरस्कार और मार्क शीटों के लिए डिजिटल डिपोसिटरी को स्थापित क्रिया जाना।

कौशल विकास

  • कौशल विकास के लिए 1804 करोड़ रुपए का आबंटन।
  • 1500 बहु-कौशल प्रशिक्षण संस्थाओं की स्थापना।
  • उद्योग और अकादमी की भागीदारी से राष्ट्रीय कौशल विकास प्रमाणन बोर्ड की स्थापना।
  • गहन ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से उद्यमी शिक्षा और प्रशिक्षण।

रोजगार सृजन

  • भारत सरकार ईपीएफओ में अपना नामांकन करने वाले सभी नए कर्मचारियों के लिए उनके रोजगार के प्रथम तीन वर्षों के लिए 8.33 प्रतिशत के अंशदान का भुगतान करेगी। इस स्कीम हेतु 1000 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है।
  • आयकर अधिनियम की धारा 80 ञञकक के तहत कटौती उन सभी करदाताओं के लिए उपलब्ध होगी जो इस अधिनियम के तहत सांविधिक लेखापरीक्षा के अध्यधीन हैं।
  • राष्ट्रीय करियर सेवा के तहत 2016-17 के अंत तक 100 मॉडल करियर केंद्र शुरू हो जाएंगे।
  • मॉडल दुकान और स्थापना विधेयक राज्यों को परिचालित किया जाएगा।

अवसंरचना और निवेश

  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के आवंटन सहित सड़क क्षेत्र में कुल निवेश 2016-17 के दौरान 97,000 करोड़ रुपए होगा।
  • वर्ष 2015 में, भारत के नए राजमार्गों के अब तक के सर्वाधिक किलोमीटर का अधिनिर्णय किया गया था। 2016-17 में लगभग 10,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग को मंजूरी दी जाएगी।
  • सड़कों के लिए बजट में 55,000 करोड़ रुपए का आबंटन। एनएएचएआई द्वारा बांडों के माध्यम से अतिरिक्त 15,000 करोड़ रुपए जुटाया जाएगा।
  • अवसंरचना हेतु कुल परिव्यय 2,21,246 करोड़ रुपए है। यात्री परिवहन क्षेत्र में सड़क परिवहन क्षेत्र को खोलने के लिए मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन किया जाएगा।
  • राज्य सरकारों की भागीदारी से अप्रयुक्त और कम प्रयुक्त विमान पत्तनों के पुनरूत्थान हेतु कार्रवाई योजना तैयार की जाएगी।
  • गहरे पानी, अत्यंत गहरे पानी और उच्च दाब उच्च तापमान वाले क्षेत्रों से गैस के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उचित विपणन स्वतंत्रता दी जाएगी।
  • नाभिकीय विद्युत उत्पादन में निवेश बढ़ाने के लिए अगले 15 से 20 वर्षों में एक व्यापक योजना तैयार की जाएगी।

सरकारी निजी भागीदारी में नए प्राण पूंकने के लिए उपाय:

  • 2016-17 के दौरान सार्वजनिक उपयोगिता (विवाद निपटान) विधेयक लाया जाएगा।
  • सरकारी निजी भागीदारी रियायती करारों पर पुनः बातचीत हेतु दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
  • अवसंरचना परियोजनाओं के लिए नई दर्जा निर्धारण प्रणाली शुरू की जाएगी।
  • बीमा और पेंशन, आस्ति पुनर्निर्माण कंपनी, स्टाक एक्सचेंज के क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति में सुधार।
  • भारत में उत्पादित और विनिर्मित खाद्य उत्पादों के विपणन में एफआईपीबी मार्ग के जरिए 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में विनिवेश और रणनीतिक बिक्री सहित सरकारी निवेश के प्रबंधन ने नई नीति को मंजूरी।

वितीय क्षेत्र में सुधार

  • वित्तीय फर्मो के समाधान के संबंध में एक व्यापक संहिता लाई जाएंगी।
  • वित विधेयक, 2016 के माध्यम से एक मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क और मौद्रिक नीति समिति हेतु सांविधिक आधार।
  • भारतीय रिजर्व बैंक सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा भागीदारी आसान करेगा।
  • सेबी द्वारा पण्य व्युत्पाद बाजार में नया व्युत्पाद उत्पाद विकसित किया जाएगा।
  • सारफेसी अधिनियम, 2002 में संशोधन किया जाएगा ताकि एआरसी का प्रयोजक एआरसी में 100 प्रतिशत हित धारण करने में समर्थ हो सके और गैर-संस्थागत निवेशकों को प्रतिभूतिकरण प्राप्तियों में निवेश करने की अनुमति मिल सके।
  • गैर-कानूनी रूप से जमा स्वीकार करने वाली स्कीमों से निपटने के लिए व्यापक केंद्रीय कानून लाया जाएगा।
  • प्रतिभूति अपीलीय अधिकरण के सदस्य और पीठ की संख्या बढ़ाना।
  • सरकारी क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूजीकरण हेतु 25,000 करोड़ रुपए का आवंटन।
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत मंजूर राशि बढ़ाकर 1,80,000 करोड़ रुपए की गई है। सरकार के स्वामित्वाधीन साधारण बीमा कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाएगा।

अभिशासन और कारोबार करने में आसानी

  • विभिन्न मंत्रालयों में मानव संसाधन युक्तिसंगत बनाने के लिए कार्यबल का गठन किया गया है।
  • स्वायत निकार्यों की व्यापक समीक्षा और यौक्तिकीकरण।
  • आधार व्यवस्था का प्रयोग करते हुए वितीय और अन्य सब्सिडियों, लाओं और सेवाओं की लक्षित सुपुर्दगी हेतु विधेयक पेश किया जाएगा।
  • उर्वरकों के लिए प्रायोगिक आधार पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का प्रारंभ।
  • 3 लाख रुपए उचित मूल्य की दुकानों में मार्च, 2017 तक स्वचालित सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। प्रारंभकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए कंपनी अधिनियम में संशोधन।
  • दालों की कीमतों को स्थिर रखने में सहायता देने के लिए 900 करोड़ रुपए की कॉर्पस निधि के साथ मूल्य स्थिरीकरण निधि।
  • एक भारत श्रेष्ठ भारत राज्यों और जिलों के बीच परस्पर अंतर्संबंध स्थापित करने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम जो भाषा, व्यापार, संस्कृति, यात्रा और पर्यटन के क्षेत्रों में आदान-प्रदान के माध्यम से लोगों को परस्पर जोड़ता है।

राजकोषीय अनुशासन

  • राजकोषीय घाटा संशोधित अनुमान 2015-16 और बजट अनुमान 2016-17 में क्रमशः 3.9 प्रतिशत और 3.5 प्रतिशत पर बना रहा।
  • राजस्व घाटे का लक्ष्य संशोधि अनुमान 2015-16 में 2.8 प्रतिशत से 2.5 प्रतिशत पर आ गया।
  • कुल व्यय 19.78 लाख करोड़ रुपए पर पूर्वोनुमानित है।
  • आयोजना व्यय आयोजना के अधीन 5.50 लाख रुपए पर नियंत्रित रहा, जिसमें 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • आयोजना-भिन्न व्यय 14.28 लाख करोड़ रुपए पर रहा।
  • कृषि, सिंचाई, स्वास्थ्य, महिला और बाल विकास, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों तथा अल्पसंख्यकों के कल्याण सहित सामाजिक क्षेत्र और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों पर विशेष बल।
  • एनएचएआई, पीएफसी, आरईसी, इरेडा, नाबार्ड और अंतर्देशीय जल प्राधिकरण द्वारा बांड जारी करते हुए 31,300 करोड़ रुपए तक के अतिरिक्त बिलों को जुटाना।
  • आयोजना आयोजन-भिन्न वर्गीकरण को 2017-18 से समाप्त करना। मंजूर की गई प्रत्येक नई स्कीम की समापन तारीख और परिणाम समीक्षा होगी।
  • 1500 से अधिक केंद्रीय रूप से प्रायोजित स्कीमों को लगभग 300 केंद्रीय क्षेत्र की और 30 केंद्रीय रूप से प्रायोजित स्कीमों में यौक्तिकृत और पुनर्गठित किया गया है।
  • एफआरबीएम अधिनियम के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए समिति

छोटे करदाताओं को राहत

  • 5 लाख रुपए तक की आय वाले व्यक्तियों पर कर का बोझ कम करने क लिए धारा 87क के तहत कर छूट की उच्चतम सीमा को 2000 रुपए से बढ़ाकर 5000 रुपए करना।
  • जो किराए के मकानों में रहते हैं उनको राहत देने के लिए धारा 80घघ के तहत अदा किए गए किराए की कटौती की सीमा को 24,000 रुपए प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 60,000 रुपए प्रतिवर्ष करना।

रोजगार और विकास को बढ़ावा देना

  • एमएसएमई श्रेणी में बड़ी संख्या में निर्धारितियों को बड़ी राहत देने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 44कघ के तहत प्रकल्पित कराधान स्कीम के अंतर्गत पण्यावर्त सीमा को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए करना।
  • प्रकल्पित कराधान स्कीम में 50 प्रतिशत के मूल्य लाभ के साथ 50 लाख रुपए तक की सकल प्रासियां वाले पेशेवरों को भी शामिल करना।

आयकर के अंतर्गत कटौतियों को समास करना:

  • आयकर अधिनियम में जहां कहीं उपबंधित हो त्वरित मूल्यह्रास 4.2017 से अधिकतम 40 प्रतिशत तक सीमित होगा।
  • अनुसंधान हेतु कटौती का लाभ 4.2017 से 150 प्रतिशत और 1.4.2020 से 100 प्रतिशत तक सीमित होगा।
  • नई सेज यूनिटों को धारा 10कक का लाभ उन्हीं यूनिटों को मिलेगा जो 03.2020 से पहले कार्यकलाप आरंभ करेंगी।
  • कौशल विकास हेतु धारा 35 गगघ के अंतर्गत भारित कटौती 4.2020 तक जारी रहेगी।

कारपोरेट कर दर प्रस्ताव:

  • दिनांक 1.3.2016 को या इसके बाद निगमित नई विनिर्माणकारी कंपनियों को 25 प्रतिशत + अधिभार और उपकर पर कर लगाए जाने का विकल्प दिया जाएगा बशर्ते कि वे लाभ संबद्ध या निवेश संबद्ध कटौतियों का दावा न करें और निवेश भते और त्वरित मूल्यह्रास का लाभ न उठाएं।
  • अपेक्षाकृत छोटे उद्यमों अर्थात 5 करोड़ रुपए (मार्च, 2015 को समाप्त होने वाले वित वर्ष में) से अनधिक के टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए अगले वितीय वर्ष के लिए निगमित कर की दर को कम करके 29 प्रतिशत जमा अधिभार और उपकर तक लाना।
  • स्टार्ट-अप के लिए जो अप्रैल, 2016 से मार्च, 2019 तक स्थापित हुई के लिए 5 वर्षों में से 3 वर्ष के लिए 100 प्रतिशत लाभ कटौती दी जाएगी। ऐसे मामलों में मैट लागू होगा।
  • भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विकसित और पंजीकृत पेटेंटों से विश्व भर में लाभ कमाकर हुई आय पर 10 प्रतिशत की दर पर कर लगेगा।
  • एआरसी के न्यासों सहित प्रतिभूतिकरण न्यासों को आयकर का पूर्ण पास-थू दिया जाएगा। प्रतिभूतिकरण न्यासों को स्रोत पर कर की कटौती करनी होगी।
  • असूचीबद्ध कंपनियों के मामले में दीर्घावधिक पूंजी लाभ की व्यवस्था का लाभ प्राप्त करने की अवधि तीन वर्ष से घटाकर दो वर्ष कर दी जाएगी।
  • गैर-बैंकिंग वितीय कंपनियां डूबे और संदेहास्पद ऋण के लिए किए गए प्रावधान के संबंध में अपनी आय के 5 प्रतिशत तक की कटौती के लिए पात्र होंगे।
  • प्रभावी प्रबंधन के स्थान (पीओईएम) के आधार पर किसी विदेशी कंपनी की रेजिडेंसी का निर्धारण एक वर्ष और स्थगित किए जाने का प्रस्ताव है।
  • सामान्य अपवंचन रोधी नियमावली (जीएएआर) को 01.04.2017 से कार्यान्वित करने के लिए प्रतिबद्धता।
  • दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत दी गई सेवाओं तथा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के पैनल में शामिल मूल्यांकन निकार्यों द्वारा दी जा रही सेवाओं को सेवा कर से छूट।
  • ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदन और बहुल अपंगता वाले व्यक्तियों के कल्याण हेतु राष्ट्रीय न्यास द्वारा शुरू की गई निरामय स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत दी गई साधारण बीमा सेवाओं पर सेवा कर से छूट।
  • प्रशीतित कन्टेनरों पर बुनियादी सीमाशुल्क और उत्पाद-शुल्क घटाकर क्रमशः 5 प्रतिशत और 6 प्रतिशत।

मेंक इन इंडिया

कतिपय वस्तुओं पर सीमाशुल्क और उत्पाद शुल्क दरों में परिवर्तन ताकि लागत घटाई जा सके और सूचना प्रौद्योगिकी, हार्डवेयर, पूंजीगत माल, रक्षा उत्पादन, वस्त्र, खनिज ईंधन और खनिज तेल, रसायन और पेट्रो-रसायन, कागज गत्ते और न्यूज़प्रिंट, वायुयानों का अनुरक्षण, मरम्मत और पूरी जांच (एमआरओ) तथा जहाजों की मरम्मत आदि जैसे क्षेत्रों में घरेलू उद्योग की प्रतिस्पर्धा में सुधार लाया जा सके।

पेंशन-प्राप्त समाज की ओर बढ़ना

  • राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के मामले में, सेवानिवृति के समय संचित निधि से 40 प्रतिशत के आहरण को कर-मुक्त किया जाएगा। कानूनी उत्तराधिकारी को मिलने वाली वार्षिकी निधि, कर योग्य नहीं होगी।
  • अधिवर्षिता निधियों और ईपीएफ सहित मान्यताप्रास भविष्य निधियों के मामले में 1.4.2016 को अथवा उस तारीख से पश्वात किए गए अंशदानों से सृजित निधियों के संबंध में भी, 40 प्रतिशत के कर-मुक्त होने का वही मानदंड लागू होगा।
  • प्रति वर्ष मान्यताप्राप्त भविष्य और अधिवर्षिता निधि में कर्मचारी के अंशदान की सीमा कर लाभ लेने के लिए 1.5 लाख रुपए होगी। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली द्वारा उपलब्ध कराई गई वार्षिकी सेवाओं और ईपीएफओ द्वारा कर्मचारियों को प्रदान की गई सेवाओं को सेवा कर से छूट।
  • कुछ मामलों में, एकल प्रीमियम वार्षिकी (बीमा) पॉलिसियों के अदा किए गए प्रीमियम पर सेवा कर 3.5 प्रतिशत से घटाकर 1.4 प्रतिशत किया जाएगा।

सस्ते आवास निर्माण को बढ़ावा देना

  • जून, 2016 से मार्च, 2019 तक अनुमोदित और तीन वर्ष के भीतर चार मेंट्रो शहरों में निर्मित किए जाने वाले 30 वर्ग मीटर और अन्य शहरों में 60 वर्ग मीटर तक के फ्लैटों हेतु आवास परियोजना शुरू करने वाले उपक्रमों को लाओं से 100 प्रतिशत कटौती। न्यूनतम एकांतर कर लागू होगा।
  • पहली बार मकान खरीदने वालों के लिए 2016-17 के दौरान स्वीकृत 35 लाख रुपए तक के ऋणों हेतु 50,000 रुपए प्रतिवर्ष के अतिरिक्त ब्याज के लिए कटौती, जहां मकान की कीमत 50 लाख रुपए से जयादा न हो।
  • स्थावर संपदा निवेश न्यास और विशिष्ट शेयरधारिता वाले आईएनवीआईटी की विशेष प्रयोजन साधन (एसपीवी) की आय से किए जाने वाला किसी वितरण विनिर्दिष्ट तारीख के बाद वितरित लाभांश के संबंध में लाभांश वितरण कर के अध्यधीन नहीं होगा।
  • सरकारी निजी भागीदारी वाली स्कीमों सहित केंद्रीय या राज्य सरकार की किसी स्कीम के तहत 60 वर्ग मीटर तक के क्षेत्र में सस्ते मकानों के निर्माण को सेवा कर से छूट।
  • निर्माण कार्य में उपयोग के लिए निर्माण स्थल पर विनिर्मित कंक्रीट मिश्रण के लिए इस समय उपलब्ध उत्पाद शुल्क छूट को तैयार मिश्रित कंक्रीट के लिए भी दिया जाए।

कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा स्वच्छ पर्यावरण हेतु अतिरिक्त संसाधन जुटाना

  • प्रतिवर्ष 10 लाख रुपए से अधिक लाभांश प्राप्त करने वाले प्रासकर्ताओं द्वारा लाभांश की सकल राशि के 10 प्रतिशत की दर पर अतिरिक्त कर देना होगा।
  • कंपनियों, फमाँ और सहकारी समितियों को छोड़कर, 1 करोड़ रुपए से अधिक आय वाले व्यक्तियों पर अधिभार 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया जाएगा।
  • दस लाख रुपए से अधिक की लक्ज़री कारों की खरीद पर और दो लाख रुपए से अधिक की वस्तुओं और सेवाओं की नकद खरीद पर 1 प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर कटौती की जाएगी।
  • विकल्पों के मामले में प्रतिभूति लेनदेन कर की दर .017 प्रतिशत से बढ़ाकर 05 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।
  • बी2बी लेनदेनों के मामले में, 1 लाख रुपए प्रति वर्ष से अधिक का भुगतान अनिवासियों को करने पर सकल राशि के 6 प्रतिशत की समकरण लेवी लगाई जाएगी।
  • 1 जून, 2016 से सभी कर-योग्य सेवाओं पर 0.5 प्रतिशत की दर से कृषि कल्याण उपकर नामक उपकर लगाया जाएगा। इससे हुई प्राप्तियों का उपयोग विशिष्ट रूप से कृषि सुधार और किसान कल्याण से संबंधित कार्यकलापों के वित्तपोषण के लिए प्रयुक्त होगा। इस उपकर का निविष्टि कर क्रेडिट इस उपकर के भुगतान पर उपलब्ध होगा।
  • पेट्रोल, एलपीजी, सीएनजी की छोटी कारों पर 1 प्रतिशत, कतिपय क्षमता वाली डीजल कारों पर 2.5 प्रतिशत और अधिक इंजन क्षमता वाले अन्य वाहनों और एसयूवी पर 4 प्रतिशत अवसंरचना उपकर लगाया जाएगा। इस उपकर के भुगतान के लिए इस उपकर का कोई क्रेडिट नहीं दिया जाएगा न ही किसी अन्य कर या शुल्क का क्रेडिट दिया जाएगा।
  • आभूषण की वस्तुओं (हीरा और बेशकीमती पत्थरों से जड़े हुए आभूषणों से इतर, चांदी के आभूषण को छोड़कर) पर निविष्टि कर-क्रेडिट के बगैर 1 प्रतिशत या निविष्टि कर क्रेडिट के साथ 12.5 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा, जिस पर अधिक छूट और अर्हता सीमा क्रमशः 6 करोड़ रुपए और 12 करोड़ रुपए होगी।
  • 1000 रुपए अथवा अधिक के खुदरा बिक्री मूल्य के तैयार परिधानों पर उत्पाद शुल्क को निविष्टि कर-क्रेडिट के बगैर 2 प्रतिशत या निविष्टि कर-क्रेडिट के साथ 12.5 प्रतिशत किया गया।
  • कोयला, लिग्नाइट और पीट पर लगाया गया ‘स्वच्छ ऊर्जा उपकर‘ को ‘स्वच्छ पर्यावरण उपकर‘ का नया नाम दिया गया और इसके साथ ही साथ इसकी दर 200 रुपए प्रतिटन से बढ़ाकर 400 रुपए प्रतिटन कर दी गई।
  • बीडी को छोड़कर, तम्बाकू के विभिन्न उत्पादों पर, उत्पाद शुल्क लगभग 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत बढ़ाया जाएगा।
  • स्पेस्ट्रम का उपयोग करने के अधिकार और इसके अंतरण का समनुदेशन को ऐसी सेवा घोषित किया गया है, जिसपर सेवा कर लगाया जा सकता है और यह अमूर्त वस्तुओं की बिक्री नहीं है।

कराधान में निश्चितता पैदा करना

  • एक स्थिर और सुनिश्चित कराधान व्यवस्था बनाने और काले धन में कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध।
  • घरेलू करदाता 30 प्रतिशत की दर पर कर अदा करके, 7.5 प्रतिशत की दर पर अधिभार अदा करके और 7.5 प्रतिशत की दर पर दंड का भुगतान करके जो कुल अघोषित आय का 45 प्रतिशत है, किसी भी आस्ति के रूप में दिखाई गई ऐसी आमदनी अथवा अघोषित आय की घोषणा कर सकते हैं। घोषणा करने पर अदालती कार्रवाई नहीं की जाएगी।
  • अघोषित आय पर 7.5 प्रतिशत की दर पर लगाया गया अधिभार कृषि कल्याण अधिभार कहा जाएगा जिसे कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
  • नई विवाद समाधान स्कीम शुरू की जाएगी। 10 लाख रुपए तक के विवादित कर के मामलों में कोई दंड नहीं होगा। 10 लाख रुपए से अधिक के विवादित कर के मामले करने के अध्यधीन होंगे। दंड आदेश के विरूद्ध किसी लंबित अपील को भी न्यूनतम आरोपणीय दंड के केवल 25 प्रतिशत की तथा मात्रा वर्धन पर कर एवं ब्याज अदायगी करके निपटाया जा सकेगा।
  • राजस्व सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ऐसे नए मामलों के देखेगी जहां निर्धारण अधिकारी पूर्व प्रभावी संशोधन लागू करता है।
  • पूर्व प्रभावी संशोधन के तहत चल रहे मामलों के संबंध में विवाद समाधान की एककालिक स्कीम।
  • आय कम सूचित करने के मामले में दंड की दरें कर के 50 प्रतिशत तक और तथ्यों की गलत सूचना देने के मामले में कर के 200 प्रतिशत तक लागू की जाएंगी।
  • अस्वीकरण आय अर्जित करने वाले निवेशों के औसत मासिक मूल्य के 1 प्रतिशत तक सीमित रहेगा लेकिन आयकर अधिनियम की धारा 14क के नियम 8घ के तहत दावा किए गए वास्तविक व्यय से अधिक नहीं होगा।
  • ब्याज और दंड से छूट चाहने वाले करदाताओं की याचिकाओं के निपटान के लिए एक वर्ष की समय-सीमा।
  • विवादित मांग का 15 प्रतिशत का भुगतान कर दिए जाने पर निर्धारण अधिकारी द्वारा मांग पर अनिवार्यतः स्थगन आदेश जारी किया जाना होगा, जब तक कि आयकर आयुक्त (अपील) के समक्ष अपील लंबित है।
  • आईटीएटी की एकल सदस्य पीठ द्वारा अपील का निर्णय करने की मौद्रिक सीमा 15 लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख रुपए की गई।
  • सीमाशुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय अधिकरण की 11 नई पीठ स्थापित की जाएंगी।

करों का सरलीकरण और यौक्तिकीकरण

  • विभिन्न मंत्रालयों द्वारा लगाई जा रहे 13 उपकर, जिनमें राजस्व संग्रहण एक वर्ष में 50 करोड़ रुपए से कम है, समाप्त किए जाएंगे।
  • पैन कार्ड के विकल्प के रूप में दस्तावेज प्रस्तुत करने वाले अनिवासियों पर उच्चतर टीडीएस लागू नहीं होगा।
  • विवरणी में संशोधन करने की सुविधा केंद्रीय उत्पाद निर्धारितियों को भी दी गई।
  • बैंकिंग कंपनियों और एनबीएफसी सहित वित्तीय संस्थाओं को, गैर-कर-योग्य सेवाओं के संबंध में निविष्टि कर क्रेडिटों के प्रतिवर्तन हेतु अतिरिक्त विकल्प दिए गए।
  • सीमा शुल्क अधिनियम में अच्छे ट्रैक रिकार्ड वाले आयातों व निर्यातकों के लिए सीमा शुल्क के आस्थगित भुगतान की व्यवस्था।
  • सीमा शुल्क एकल विंडो परियोजना अगले वित्त वर्ष के आरंभ में प्रमुख पत्तनों और हवाई अड्डों पर लागू की जाएगी।
  • अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए नि:शुल्क बैगेज संबंधी अनुमति में वृद्धि। केवल शुल्क योग्य वस्तु ले जाने वाले यात्री ही बैगेज संबंधी सूचना देंगे।

जवाबदेही निश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग

  • आने वाले वर्षों में 7 बड़े शहरों में सभी निर्धारितियों के लिए ई-निर्धारण के कार्य क्षेत्र का विस्तार।
  • अपीलीय आदेश को कार्यान्वित करने में 90 दिन से अधिक का विलंब होने पर 6 प्रतिशत प्रति वर्ष की सामान्य दर की तुलना में 9 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर पर ब्याज भुगतान।
  • विशेषकर छोटे करदाताओं के लिए अनुपालन लागत घटाने हेतु ई-सहयोग का विस्तार किया जाएगा।

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